सुप्रीम कोर्ट ने अपहरण मामले में भवानी रेवन्ना को दी गई अग्रिम जमानत के खिलाफ कर्नाटक की याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने महिला के अपहरण के आरोपों से जुड़े मामले में भवानी रेवन्ना को दी गई अग्रिम जमानत को चुनौती देने वाली कर्नाटक राज्य की याचिका खारिज की।
भवानी रेवन्ना जनता दल (यूनाइटेड) के नेता प्रज्वल रेवन्ना की मां हैं, जिन पर कई महिलाओं के साथ यौन अपराध करने का आरोप है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि आरोपी (भवानी रेवन्ना) 55-56 साल की महिला है। आरोप उसके बेटे द्वारा किए गए अपहरण के लिए उकसाने से संबंधित हैं। इसने आगे कहा कि मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और हिरासत में पूछताछ की जा रही है।
यह देखते हुए कि मामले में आरोपपत्र भी दायर किया गया, पीठ ने निष्कर्ष निकाला कि अग्रिम जमानत देने के आदेश में हस्तक्षेप उचित नहीं था।
मामले की पृष्ठभूमि
इस वर्ष जून में कर्नाटक हाईकोर्ट ने भवानी रेवन्ना को अग्रिम जमानत प्रदान की, जिसमें पारिवारिक जीवन में उनकी केंद्रीय भूमिका के कारण महिलाओं को अनावश्यक हिरासत से बचाने के महत्व पर जोर दिया गया।
न्यायालय ने भवानी रेवन्ना द्वारा असहयोग के राज्य के आरोप को स्वीकार किया, लेकिन नोट किया कि उसने पुलिस द्वारा पूछे गए सभी 85 प्रश्नों का उत्तर दिया। यह देखा गया कि पुलिस आरोपी व्यक्तियों से यह अपेक्षा नहीं कर सकती कि वे उनके द्वारा बताए गए विशिष्ट तरीके से उत्तर प्रदान करें।
अभियोजन पक्ष का तर्क कि भवानी रेवन्ना का अपने बेटे को अपराध करने से रोकना कर्तव्य था, उसको खारिज कर दिया गया, यह देखते हुए कि वयस्क बच्चों को नियंत्रित करने की माँ की जिम्मेदारी कानूनी आवश्यकता नहीं है।
इसके अलावा, न्यायालय ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि भवानी रेवन्ना अपहरण की मुख्य सूत्रधार थी। उस स्तर पर आईपीसी की धारा 364 ए लागू थी। इसने यह भी नोट किया कि शिकायतकर्ता ने एफआईआर में भवानी रेवन्ना को शामिल नहीं किया, बल्कि उसने दो अन्य व्यक्तियों का नाम लिया।
अभियोजन पक्ष की एक और दलील कि भवानी रेवन्ना की राजनीतिक पृष्ठभूमि सबूतों से छेड़छाड़ का कारण बन सकती है, उसको भी खारिज कर दिया गया, यह देखते हुए कि उनके पारिवारिक संबंध और सामाजिक जड़ें उन्हें जमानत के लिए उपयुक्त उम्मीदवार बनाती हैं। न्यायालय को उनके बेटे द्वारा कथित यौन शोषण से उन्हें जोड़ने वाला कोई सबूत नहीं मिला।
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ कर्नाटक SIT ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। जुलाई में याचिका पर नोटिस जारी किया गया, जबकि पीठ ने भवानी रेवन्ना की कथित भूमिका के बारे में आरक्षण व्यक्त किया और कहा कि इस मामले का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, शिकायतकर्ता की मां ने लगभग छह साल तक रेवन्ना के लिए काम किया और रेवन्ना के निर्देश पर सतीश बबन्ना ने उसका अपहरण कर लिया। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि उसके दोस्त ने उसकी मां पर कथित यौन हमले से संबंधित वायरल वीडियो उसके संज्ञान में लाया और जब उसने बबन्ना से अपनी मां को वापस भेजने का अनुरोध किया तो बबन्ना ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।
पुलिस ने मामले के सिलसिले में एचडी रेवन्ना (प्रज्वल के पिता) को भी गिरफ्तार किया, लेकिन बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। अभियोजन पक्ष ने इस आदेश को चुनौती दी है और इसे रद्द करने की मांग की है।
केस टाइटल: कर्नाटक राज्य बनाम भवानी रेवन्ना, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 8386/2024