सुप्रीम कोर्ट ने जमानत की मांग करने वाली याचिका खारिज की, जिसे चौथी बार स्थगन मांगा गया था।
न्यायालय ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 13 फरवरी के आदेश के खिलाफ नीलेश ध्यानेश्वर देसले द्वारा दायर जमानत याचिका खारिज की, जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार किया गया था। न्यायालय ने पाया कि इस मामले में लगातार स्थगन मांगे गए और यह चौथी बार है, जब याचिकाकर्ता के वकील ने स्थगन मांगा है, जिसके बाद गैर-अभियोजन पक्ष के लिए याचिका खारिज कर दी गई।
आरोप है कि याचिकाकर्ता कॉन्ट्रैक्ट किलर है। उसने सचिन नामक व्यक्ति को खत्म करने के लिए साजिश रची और उसकी हत्या के लिए कॉन्ट्रैक्ट किलर को सुपारी भी दी। हाईकोर्ट के समक्ष राज्य ने जमानत का पुरजोर विरोध किया। प्रस्तुत किया कि वर्तमान याचिकाकर्ता के खिलाफ 9 आपराधिक मामले दर्ज हैं।
हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत मामले के अनुसार, देसले ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 120-बी सहपठित धारा 34 तथा शस्त्र अधिनियम की धारा 4/25 के अंतर्गत दंडनीय अपराधों के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 439 के अंतर्गत आवेदन दायर किया था।
इन सभी आरोपों पर विचार करते हुए हाईकोर्ट ने पाया कि प्रथम दृष्टया साक्ष्य है कि वर्तमान याचिकाकर्ता ने गंभीर अपराध किया, अन्य मामलों में उसे जमानत दिए जाने पर उसने अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया तथा उसके द्वारा इसी प्रकार के अपराध किए जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
इसलिए जस्टिस संजय ए. देशमुख ने माना कि वर्तमान याचिकाकर्ता जमानत का हकदार नहीं है। इस आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। इस पर 31 जुलाई, 10 सितंबर तथा 15 अक्टूबर को सुनवाई होनी थी। लेकिन याचिकाकर्ता के वकील ने तीनों ही तिथियों पर स्थगन मांगा।
याचिकाकर्ता के वकील ने जब फिर से स्थगन की मांग की तो जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई।
जस्टिस शर्मा ने मौखिक रूप से टिप्पणी की:
"हम इस [लगातार स्थगन की मांग] के कारण [बैकलॉग से] निपटने में सक्षम नहीं हैं। पांच/छह स्थगन।"
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में हर दिन 250 से अधिक मामले दाखिल होते हैं। सुबह 8 बजे आने वाले लोग रात 9 बजे तक काम करते हैं। फिर ऐसे वकील होते हैं जो स्थगन की मांग करते रहते हैं।
इसलिए कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई नहीं करेगा।
इस संबंध में आदेश पारित किया:
"यहां, तीन बार स्थगन की मांग की गई। खारिज।"
केस टाइटल: नीलेश ज्ञानेश्वर देसाले बनाम महाराष्ट्र राज्य, डायरी नंबर 22040-2024