सुप्रीम कोर्ट ने सरकार का रुख दिखाने के लिए आरटीआई के जवाबों पर भरोसा करने पर नाराजगी जताई

Update: 2022-04-08 02:57 GMT

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान सरकार का रुख दिखाने के लिए आरटीआई (RTI) के जवाबों पर भरोसा करने पर नाराजगी जताई।

जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ हज और उमराह टूर ऑपरेटरों के लिए जीएसटी छूट की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

याचिकाकर्ता के वकील ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत कुछ जवाबों पर भरोसा करते हुए कहा कि सरकार ने हज सेवाओं को धार्मिक गतिविधियों के रूप में मान्यता दी है।

पीठ ने कहा कि आरटीआई जवाबों को सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

पीठ ने कहा कि आरटीआई के जवाब इस पर आधारित हैं कि सवाल कैसे पूछे जाते हैं और इसलिए भ्रामक हो सकते हैं। सरकार का रुख अदालत में दाखिल हलफनामे के जरिए आना चाहिए।

न्यायमूर्ति खानविलकर ने मौखिक रूप से कहा,

"सभी रिट याचिकाओं में, आरटीआई पर भरोसा किया जाता है। यह हमेशा भ्रामक होता है। जो प्रश्न प्रस्तुत किया जाता है, उसके आधार पर उत्तर दिया जाता है। यह अब तक का हमारा व्यापक अनुभव रहा है। आरटीआई सरकार का प्रवेश नहीं है। संबंधित प्राधिकारी जिसे कराधान का व्यवसाय करने की आवश्यकता होती है, को हलफनामे पर बयान देना चाहिए कि हम यही कहते हैं और उसके बाद ही हम इसे स्वीकार कर सकते हैं।"

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