न्यायिक अकादमियों में जमानत और गिरफ्तारी दिशानिर्देशों पर उनके दो जजमेंट्स को कोर्स का हिस्सा बनाया जाए, सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने निर्देश दिया कि न्यायिक अकादमियों में जमानत और गिरफ्तारी दिशानिर्देशों पर उनके दो जजमेंट्स को कोर्स का हिस्सा बनाया जाए, जहां न्यायिक अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है।
कोर्ट ने सिद्धार्थ बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एलएल 2021 एससी 391 मामले में 2021 के फैसले और सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो 2022 लाइव लॉ (एससी) 577 मामले में 2022 के फैसले को कोर्स का हिस्सा बनाने का निर्देश दिया है।
सिद्धार्थ मामले में, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 170 के तहत चार्जशीट दाखिल करने के समय प्रत्येक आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए प्रभारी अधिकारी पर कोई दायित्व नहीं है।
खंडपीठ ने कहा कि कुछ ट्रायल कोर्ट द्वारा चार्जशीट को रिकॉर्ड पर लेने के लिए एक पूर्व-अपेक्षित औपचारिकता के रूप में एक अभियुक्त की गिरफ्तारी पर जोर देना गलत है और आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 170 के इरादे के विपरीत है।
सतिंदर कुमार अंतिल मामले में जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरश की खंडपीठ ने जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की बड़ी संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए जमानत की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए।
फैसले में इस बात पर भी जोर दिया गया कि अभियुक्तों को मैकेनिकल तरीके से रिमांड पर नहीं भेजा जाना चाहिए। फैसले ने यह भी सुझाव दिया कि जमानत देने की प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए केंद्र सरकार को एक 'जमानत अधिनियम' लाना चाहिए।
आज जस्टिस कौल और जस्टिस एएस ओका की पीठ सतिंदर कुमार अंतिल के निर्देशों के संबंध में राज्यों द्वारा अनुपालन सुनिश्चित करने पर विचार कर रही थी।
उच्च न्यायालयों को यह भी निर्देश दिया गया था कि वे उन विचाराधीन कैदियों का पता लगाने की कवायद करें जो जमानत की शर्तों का पालन करने में सक्षम नहीं हैं।
इस मामले में एमिकस क्यूरी, ,सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने पीठ को सूचित किया कि चार उच्च न्यायालयों-त्रिपुरा, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और आंध्र प्रदेश ने अभी तक अपनी रिपोर्ट दाखिल नहीं की है।
उन्होंने यह भी बताया कि बहुत कम राज्यों ने अपनी अनुपालन रिपोर्ट दाखिल की है। सीबीआई को भी अभी अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी है।
पीठ ने अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए राज्यों को चार सप्ताह का और समय दिया, जिसमें विफल रहने पर उनके मुख्य सचिवों को अगली तारीख पर उपस्थित होना होगा।
मामले पर अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी।
एमिकस क्यूरी ने पीठ को यह भी बताया कि दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया जा रहा है। इस पर ध्यान देते हुए पीठ ने निर्देश दिया कि उच्च न्यायालयों को अपने हलफनामे में यह बताना चाहिए कि क्या वे निर्णय के अनुपालन पर न्यायिक अधिकारियों की निगरानी कर रहे हैं।