सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को केंद्र के ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी/असंगठित श्रमिकों को 3 महीने के भीतर राशन कार्ड उपलब्ध कराने का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को राज्य सरकारों को उन प्रवासी या असंगठित श्रमिकों को 3 महीने के भीतर राशन कार्ड देने का निर्देश दिया, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, लेकिन वो केंद्र के ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत हैं।
जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने कार्यकर्ताओं हर्ष मंदर, अंजलि भारद्वाज और जगदीप छोकर द्वारा दायर एक आवेदन में आदेश पारित किया। आवेदन में संघ और कुछ राज्यों पर प्रवासी मजदूरों के लिए सूखे राशन और खुले सामुदायिक रसोई के निर्देशों का पालन न करने का आरोप लगाया गया है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि नवीनतम जनसंख्या के आंकड़ों की अनुपस्थिति के कारण, 10 करोड़ से अधिक लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के सुरक्षात्मक छत्र से बाहर कर दिया गया था, वह भी बिना राशन कार्ड के।
पीठ ने कहा,
"वर्तमान में, हम संबंधित राज्यों को व्यापक प्रचार करके ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत लोगों को राशन कार्ड जारी करने की कवायद करने के लिए तीन महीने का समय देते हैं और लोगों को जिला कलेक्टर कार्यालय के माध्यम से संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश को संपर्क करने का निर्देश देते हैं ताकि पोर्टल पर पंजीकृत अधिक से अधिक लोगों को राशन कार्ड जारी किया जा सके, जिससे उन्हें भारत सरकार एवं राज्य सरकारों की कल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 का लाभ मिल सके।"
बेंच ने केंद्र सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा और और मामले को 3 अक्टूबर, 2023 को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को ये सूचित करने का निर्देश दिया था कि क्या ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत 28.55 करोड़ प्रवासियों / असंगठित श्रमिकों के पास राशन कार्ड हैं और क्या उन सभी को भोजन का लाभ दिया गया है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, जो ग्रामीण और शहरी गरीबों को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने का अधिकार देता है। बेंच ने टिप्पणी की कि पोर्टल पर केवल पंजीकरण पर्याप्त नहीं है। यह जरूरी है कि सरकारों की कल्याणकारी योजना का लाभ गरीब से गरीब व्यक्ति तक पहुंचे।
जस्टिस शाह ने अतिरिक्त महाधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी से कहा,
"हम राज्यों और केंद्र के बीच डेटा साझा करने में रुचि नहीं रखते हैं। हम इस बात में रुचि रखते हैं कि क्या कुशल या अकुशल प्रवासियों को योजनाओं का लाभ मिल रहा है। सरकार को हर प्रवासी तक पहुंचें, सबसे पहले, जो पहले से पंजीकृत हैं।"