सुप्रीम कोर्ट ने ASI को महरौली में प्राचीन दरगाहों की मरम्मत और जीर्णोद्धार की निगरानी का निर्देश दिया

Update: 2025-08-20 05:01 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को दिल्ली के महरौली पुरातत्व पार्क में 14वीं सदी की आशिक अल्लाह दरगाह और बाबा फ़रीद की चिल्लागाह की मरम्मत और जीर्णोद्धार का काम अपनी निगरानी में करने का निर्देश दिया।

जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर चुनौती पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दिल्ली के महरौली पुरातत्व पार्क के अंदर सदियों पुरानी धार्मिक संरचनाओं, जिनमें 13वीं सदी की आशिक अल्लाह दरगाह (1317 ईस्वी) और बाबा फ़रीद की चिल्लागाह शामिल हैं, उनके संरक्षण के लिए विशिष्ट निर्देश देने से इनकार कर दिया गया।

इससे पहले, न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं और अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे पहले न्यायालय द्वारा गठित धार्मिक समिति के समक्ष अपना पक्ष रखें। धार्मिक समिति द्वारा लिए गए निर्णय को लागू करने से पहले रिकॉर्ड में रखा जाना था।

DDA के वकील ने दलील दी कि अधिकारी प्राचीन स्मारकों को हटाना नहीं चाहते, बल्कि उन्हें केवल उनके आसपास हुए अवैध निर्माणों की चिंता है। उन्होंने आगे कहा कि भविष्य में जब भी वे प्राचीन स्मारकों को ध्वस्त करने की योजना बनाएंगे तो धार्मिक समिति की अनुमति के बिना ऐसा नहीं करेंगे।

अपीलकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील निज़ाम पाशा ने अदालत को बताया कि वर्तमान संरचनाएं प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 (AMASR Act) के तहत प्राचीन स्मारक हैं, लेकिन संरक्षित स्मारक नहीं हैं। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान, हाईकोर्ट का मानना था कि स्मारक प्राचीन नहीं दिखता। पाशा ने ज़ोर देकर कहा कि ऐसा घटिया जीर्णोद्धार कार्य के कारण हुआ है, जिसके तहत संरचना पर नई टाइलें चिपका दी गई थीं।

हालांकि, अब संरचना पर ASI की रिपोर्ट के अनुसार, यह स्थापित हो गया कि यह स्मारक 12वीं-13वीं शताब्दी का एक प्राचीन स्मारक है। उन्होंने आगे कहा कि यह स्मारक ASI के अधिकार क्षेत्र में आएगा।

हालांकि, खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि प्राचीन स्मारकों के संरक्षण की आड़ में अनधिकृत निर्माण संरक्षण की मांग नहीं कर सकते।

न्यायालय ने पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के दिल्ली मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद् की रिपोर्ट और हलफनामे पर गौर किया और निर्देश दिया कि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग प्राचीन स्मारकों की मरम्मत और जीर्णोद्धार की निगरानी करे।

आगे कहा गया,

"हम इन अपीलों का निपटारा यह कहते हुए करते हैं कि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को विचाराधीन स्मारकों की देखरेख, मरम्मत और जीर्णोद्धार के मामले पर विचार करना चाहिए। उपरोक्त टिप्पणियों के साथ अपील का निपटारा किया जाता है।"

Case Details : ZAMEER AHMED JUMLANA Versus DELHI DEVELOPMENT AUTHORITY (DDA) AND ORS.|Diary No. 6711-2024

Tags:    

Similar News