दिल्ली प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट का सवाल: “क्या न्यायपालिका के पास कोई जादुई छड़ी है?”

Update: 2025-11-27 07:51 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली एयर पॉल्यूशन (MC Mehta केस) की सुनवाई को अगले सोमवार के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति जताते हुए यह साफ कहा कि न्यायपालिका से इस समस्या का कोई “चमत्कारी समाधान” तुरंत देने की उम्मीद नहीं की जा सकती।

चीफ़ जस्टिस सूर्यकांत ने सीनियर एडवोकेट अपराजिता सिंह (एमिकस क्यूरी) द्वारा मामले की त्वरित सुनवाई की मांग पर कहा,

“न्यायिक मंच किस तरह का जादुई छड़ी चला सकता है? मुझे पता है कि यह दिल्ली-एनसीआर के लिए बेहद खतरनाक स्थिति है… बताइए हम ऐसा क्या निर्देश दें कि तुरंत साफ हवा मिल जाए?”

एमिकस ने दिल्ली-एनसीआर की “चिंताजनक स्थिति” का उल्लेख करते हुए इसे “स्वास्थ्य आपातकाल” बताया।

सीजेआई ने संकट की गंभीरता को स्वीकार करते हुए यह भी स्पष्ट किया कि न्यायपालिका की अपनी संरचनात्मक सीमाएँ हैं। उन्होंने कहा,

“समस्या सबको पता है, लेकिन इसके सभी कारणों की पहचान जरूरी है। यह सोचना गलत होगा कि इसकी वजह सिर्फ एक ही है।”

सीजेआई ने जोर दिया कि स्मॉग के कारणों और समाधान को समझने के लिए विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कोर्ट को यह भी जानना होगा कि सरकार ने कौन-कौन सी समितियाँ बनाई हैं और किन क्षेत्रों में कौन से समाधान संभव हैं।

एमिकस ने बताया कि कमिशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) इस मुद्दे पर लगातार निर्देश जारी कर रहा है।

सीजेआई ने दीर्घकालिक समाधान और नियमित निगरानी की जरूरत पर बल देते हुए कहा,

“यह मामला हर साल दिवाली से पहले औपचारिक तौर पर लिस्ट होता है। सर्दियों के बाद यह गायब हो जाता है। हमें नियमित निगरानी करनी होगी।”

जब एमिकस ने एक बार फिर एनसीआर की गंभीर स्थिति पर जोर दिया, तो सीजेआई ने आश्वासन दिया कि कोर्ट इस मामले को लगातार सुनेगा।

“हम इस पर सुनवाई करेंगे, और निरंतर आधार पर करेंगे,” सीजेआई ने आश्वस्त किया।

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