सुप्रीम कोर्ट ने आज दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण संकट को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों (Air Quality Guidelines – AQG) को तत्काल चरणबद्ध रूप से लागू करने की मांग करने वाली एक अर्जी को सूचीबद्ध करने से इंकार कर दिया।
यह अनुरोध चीफ़ जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की खंडपीठ के समक्ष उल्लेख (mentioning) के दौरान किया गया।
अधिवक्ता ने अदालत के समक्ष कहा कि वह दिल्ली-एनसीआर वायु प्रदूषण मामले में एक अंतरिम आवेदन (interim application) दाखिल करना चाहते हैं, जिसमें WHO के मानकों को तत्काल अपनाने और चरणबद्ध रूप से लागू करने की मांग की गई है।
इस पर चीफ़ जस्टिस ने पूछा, “यह आवेदन किसने दायर किया है?”
एडवोकेट ने जवाब दिया कि आवेदन एक पर्यावरण कानून विशेषज्ञ अधिवक्ता द्वारा दायर किया गया है।
चीफ़ जस्टिस गवई ने टिप्पणी की —
“हमारे समक्ष पहले से ही पर्यावरण कानून के कई विशेषज्ञ वकील मौजूद हैं।”
इसके बाद अधिवक्ता ने अनुरोध किया कि यह आवेदन कल (12 नवंबर) के लिए सूचीबद्ध किया जाए, क्योंकि अदालत उस दिन दिल्ली की वायु गुणवत्ता से संबंधित एम.सी. मेहता केस की सुनवाई करने वाली है।
हालांकि, इस अनुरोध को ठुकराते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा —
“इसकी ज़रूरत नहीं है।”
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की यह खंडपीठ कल, 12 नवंबर को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई करेगी, जो एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ मामले का हिस्सा हैं।
पिछली सुनवाई में अदालत को यह बताया गया था कि दिल्ली में कई वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन (air monitoring stations) सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं। इस पर अदालत ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को निर्देश दिया था कि वह यह बताते हुए एक शपथपत्र (affidavit) दाखिल करे कि प्रदूषण की स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
इससे पहले, 14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध को अस्थायी रूप से शिथिल करते हुए “ग्रीन पटाखों” (Green Firecrackers) के सीमित उपयोग की अनुमति दी थी, बशर्ते कुछ शर्तों का पालन किया जाए।