ब्रेकिंग- सुप्रीम कोर्ट ने टू-फिंगर टेस्ट पर रोक लगाई; कोर्ट ने कहा- यह पितृसत्तात्मक मानसिकता पर आधारित है कि सैक्चुली एक्टिव महिला का रेप नहीं किया जा सकता

Update: 2022-10-31 05:48 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रेप के मामलों में टू-फिंगर टेस्ट (Two Finger test) के इस्तेमाल पर रोक लगा दी और चेतावनी दी कि इस तरह के टेस्ट करने वाले व्यक्तियों को कदाचार का दोषी ठहराया जाएगा।

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमा कोहली की पीठ ने बलात्कार के एक मामले में दोषसिद्धि बहाल करते हुए खेद व्यक्त किया और कहा कि यह खेदजनक है कि टू-फिंगर टेस्ट आज भी जारी है।

पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा,

"इस अदालत ने बार-बार बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोपों के मामलों में टू फिंगर टेस्स के उपयोग को रोक दिया है। तथाकथित टेस्ट का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। इसके बजाय यह महिलाओं को फिर से पीड़ित और पुन: पीड़ित करता है। टू फिंगर टेस्ट नहीं किया जाना चाहिए। टेस्ट एक गलत धारणा पर आधारित है कि एक सैक्चुली एक्टिव महिला का बलात्कार नहीं किया जा सकता है। सच्चाई से आगे कुछ भी नहीं हो सकता है।"

पीठ ने कहा,

"एक महिला की गवाही का संभावित मूल्य उसके यौन इतिहास पर निर्भर नहीं करता है। यह सुझाव देना पितृसत्तात्मक और सेक्सिस्ट है कि एक महिला पर विश्वास नहीं किया जा सकता है जब वह कहती है कि उसके साथ केवल इसलिए बलात्कार किया गया क्योंकि वह सैक्चुली एक्टिव है।"

पीठ ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि यौन उत्पीड़न और बलात्कार के सर्वाइवर का टू फिंगर टेस्ट नहीं होना चाहिए।

क्या होता है टू फिंगर टेस्ट?

टू फिंगर टेस्‍ट में पीड़‍िता के प्राइवेट पार्ट में एक या दो उंगली डालकर उसकी वर्जिनिटी टेस्‍ट की जाती है।

टेस्‍ट का मकसद यह पता लगाना होता है कि महिला के साथ शारीरिक संबंध बने थे कि नहीं। प्राइवेट पार्ट में अगर आसानी से दोनों उंगलियां चली जाती हैं तो माना जाता है कि महिला सेक्‍चुली एक्टिव है।



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