सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, मध्यस्थता की कार्यवाही में देरी होने पर कारोबार के अनुकूल माहौल कैसे बनेगा?

Update: 2022-12-15 05:06 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार द्वारा रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा शुरू की गई अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की कार्यवाही में देरी के प्रयास पर नाराज़गी व्यक्त की और पूछा कि क्या यह व्यापार के अनुकूल माहौल बनाने का तरीका है।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष रिलायंस इंडस्ट्रीज की ओर से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता शुरू होने में देरी के मुद्दे का उल्लेख किया। हालांकि दो विदेशी मध्यस्थ भारत में मौजूद हैं।

उन्होंने कहा कि पक्षपात के आधार पर मध्यस्थों के पैनल को समाप्त करने की मांग वाली केंद्र की अर्जी को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। फिर भी कार्यवाही इस आधार पर शुरू नहीं की गई कि केंद्र हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देना चाहता है।

केंद्र सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट एके गांगुली ने कहा कि केंद्र ने पहले ही हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की और पूछा कि अगर एसएलपी का फैसला होने तक कार्यवाही स्थगित कर दी जाती है तो क्या "आसमान गिर जाएगा"।

सीजेआई चंद्रचूड़ का तत्काल जवाब आया,

"आसमान गिर जाएगा। एक तरफ, हम चिल्ला रहे हैं कि हम विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना चाहते हैं, व्यापार को प्रोत्साहित करना चाहते हैं। क्या आप इस तरह का व्यापार अनुकूल माहौल बनाना चाहते हैं? तीन सदस्यीय अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण इंतजार कर रहा है.."

साल्वे ने इस मौके पर इस बात पर प्रकाश डाला कि मध्यस्थता की कार्यवाही 2011 में शुरू की गई थी।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने गांगुली से कहा कि कार्यवाही जारी रखने के खिलाफ कोई रोक नहीं है।

आरआईएल द्वारा दायर याचिका का यह रिकॉर्डिंग करते हुए निस्तारण किया गया कि मध्यस्थता की कार्यवाही पर कोई रोक नहीं है।

दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट की अन्य बेंच ने भी मध्यस्थता की कार्यवाही में देरी के खिलाफ इसी तरह की टिप्पणी की थी।

जस्टिस गवई की अगुआई वाली पीठ ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की उसके खिलाफ दिए गए फैसले को लागू करने में देरी के लिए आलोचना करते हुए अटॉर्नी जनरल से कहा,

"एक तरफ तो भारत को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र बनाने पर सार्वजनिक भाषण दिए जा रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ क्यों किसी अधिनिर्णय को लागू करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया? न्यायालय द्वारा पारित अधिनिर्णय का पालन किया जाना चाहिए।

केस टाइटल: रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड बनाम भारत संघ विशेष अवकाश याचिका (सिविल) डायरी नंबर 40985/2022

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