सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पंचायत चुनावों की मतगणना COVID-19 सुरक्षा उपायों के साथ करने की अनुमति दी

Update: 2021-05-01 07:32 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने (शनिवार) उत्तर प्रदेश पंचायत चुनावों की मतगणना को टालने से इनकार कर दिया जो कल (रविवार) COVID-19 महामारी के बीच होने वाली है।

जस्टिस एएम खानविल्कर और जस्टिस हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा दिए गए आश्वासनों के आधार पर मतगणना को कल होने की अनुमति दी है। राज्य निर्वाचन आयोग ने आश्वास दिया है कि यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए गए हैं कि मतगणना केंद्रों पर COVID प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा।

पीठ ने आदेश में कहा कि,

"हम एसईसी के सबमिशन को रिकॉर्ड करके मतगणना को खारिज करने के अनुरोध को अस्वीकार करते हैं। सबमिशन में कहा गया है कि COVID19 प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा।"

राज्य चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया कि राज्य सरकार के क्लास वन अधिकारी को 800 मतगणना केंद्रों में से प्रत्येक की निगरानी के लिए सौंपा जाएगा और मतगणना केंद्र के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा। साथ ही प्रमुख सचिव रैंक के वरिष्ठ IAS अधिकारियों को COVID प्रोटोकॉल के पालन की देखरेख करने के लिए प्रत्येक जिले को सौंपा जाएगा।

एडवोकेट भाटी ने पीठ को यह भी बताया कि सभी मतगणना केंद्रों में सीसीटीवी केंद्र स्थापित किए गए हैं और फुटेज को संभालकर रखा जाएगा।

पीठ को यह भी बताया गया कि मतगणना केंद्रों के भीतर और आसपास के क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाया जाएगा जो कि संबंधित अधिकारियों द्वारा और आस-पास के अधिकारियों द्वारा पहचाना जाएगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि केवल अधिकृत प्रतिनिधि ही मतगणना केंद्रों का दौरा कर पाएं।

राज्य निर्वाचन आयोग ने पीठ को यह भी बताया कि राजनीतिक दलों द्वारा विजय रैली को पूरे यूपी में अनुमति नहीं दी जाएगी। उम्मीदवार या उनके एजेंट मतगणना केंद्रों में तभी प्रवेश कर सकते हैं जब उनके पास RT-PCR का निगेटिव रिपोर्ट या COVID टीकाकरण की दो डोज लेने का प्रमाण पत्र हो।

पीठ ने राज्य चुनाव आयोग द्वारा दिए गए आश्वासनों को रिकॉर्ड किया।

पीठ सात अप्रैल को पारित इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली एक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें स्थानीय निकाय चुनावों को टालने से इनकार कर दिया गया था और इसमें कल की मतगणना स्थगित करने की मांग करने वाली एक रिट याचिका भी दयार की गई थी।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता शोएब आलम ने प्रस्तुत किया कि मतगणना केंद्र संक्रमण के बेड हो सकते हैं। पीठ को यह भी बताया गया कि कई शिक्षकों जिन्हें काउंटिंग ड्यूटी सौंपी गई है, ने COVID-19 महामारी के बीच ड्यूटी करने पर आशंका जताई है। एडवोकेट आलम ने पीठ को यह भी बताया कि चुनाव ड्यूटी में शामिल होने वाले कई शिक्षकों की कोविड की वजह से जानें चली गईं के और इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उसी पर संज्ञान लिया है।

पीठ ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग द्वारा दिए गए आश्वासनों के मद्देनजर मतगणना प्रक्रिया की अनुमति दी जाती है क्योंकि चुनाव आयोग ने कहा कि COVID-19 दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए आवश्यक उपाय किए जाएंगे।

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