सुप्रीम कोर्ट ने कथित नफरत भरे भाषणों के लिए अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की बृंदा करात की याचिका पर सुनवाई स्थगित की
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेताओं बृंदा करात और केएम तिवारी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी, जिसमें जनवरी 2020 में चुनावी रैलियों के दौरान भारतीय जनता पार्टी के नेताओं अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा के खिलाफ कथित हेट स्पीच के लिए प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने की मांग की गई।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ आज करात और तिवारी की उस याचिका पर सुनवाई करने वाली थी, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट ने उस ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया, जिसने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के दोनों नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ को वकील के कहने पर सुनवाई स्थगित करनी पड़ी, जिन्होंने स्थगन की मांग करते हुए पत्र प्रसारित किया।
मामले की पृष्ठभूमि
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) नेता बृंदा करात और केएम तिवारी ने आपराधिक रिट याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जब एक निचली अदालत ने भाजपा नेताओं के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने की उनकी याचिका स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
अगस्त 2020 में, दिल्ली की एक ट्रायल कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत अपराधों के लिए एफआईआर दर्ज करने की मांग करने वाली आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत दायर याचिकाकर्ताओं के आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि धारा 196 के तहत पूर्व मंजूरी प्रारंभिक चरण में भी संहिता की आवश्यकता है, जिसे करात और तिवारी ने प्राप्त नहीं किया।
हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि संज्ञान का चरण उस समय उत्पन्न नहीं हुआ जब संहिता की धारा 156(3) के तहत निर्देश दिए गए हों। इस प्रकार, एफआईआर दर्ज कराने के लिए धारा 195 या धारा 196 के तहत किसी मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। लेकिन, जून 2022 में, दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ करात और तिवारी द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया।
जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने कहा कि हालांकि रिट याचिका सुनवाई योग्य है, लेकिन कानून की स्थापित स्थिति के साथ-साथ प्रभावी वैकल्पिक उपाय के अस्तित्व पर न्यायिक फैसलों को देखते हुए इस पर विचार नहीं किया जा सकता।
इस साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के बर्खास्तगी के आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी किया।
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत होते हुए यह भी कहा कि प्रथम दृष्टया मजिस्ट्रेट का यह रुख कि मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए मंजूरी की आवश्यकता है, गलत प्रतीत होता है।
केस टाइटल- बृंदा करात और अन्य बनाम दिल्ली के एनसीटी राज्य और अन्य। | विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) नंबर 5107/2023