सैनिटाइज़र और मास्क की उपलब्धता सरकार द्वारा तय की गई कीमत पर सुनिश्चित करने के लिए उठाए कदम, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा

Update: 2020-04-04 05:39 GMT

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा सैनिटाइज़र और मास्क की कालाबाजारी रोकने के उपायों के क्रियान्वयन के संबंध में प्रस्तुत की गई अधिसूचनाओं को नोट करते हुए कोरोना वायरस (COVID-19) के प्रकोप के मद्देनजर उसके के समुचित पालन का निर्देश दिया।

यह याचिका जस्टिस फोर राइट्स फाउंडेशन, सत्यम सिंह राजपूत (एडवोकेट एंड फाउंडर), एडवोकेट अमित शर्मा और प्रतीक शर्मा, दिल्ली विश्वविद्यालय के कानून के छात्र द्वारा दायर की गई थी।

दरअसल COVID19 संकट के बीच मास्क, हैंड सैनिटाइजर और पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट जैसी आवश्यक मेडिकल वस्तुओं की कथित काला बाज़ारी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए मंगलवार को एक जनहित याचिका (PIL ) दायर की गई थी।

याचिका में मास्क और अन्य आवश्यक वस्तुओं के उचित और समान वितरण के लिए भी मांग की गई थी।

सॉलिसिटर-जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि सर्जिकल / एन 95 मास्क को आवश्यक सामान के रूप में घोषित किया गया था और भारत सरकार द्वारा मास्क, हैंड सैनिटाइज़र और लिक्विड रैप की उपलब्धता और वितरण के बारे में निर्देश जारी करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि कंट्रोल रूम में एक हेल्पलाइन उपलब्ध कराई गई है जो चौबीसों घंटे काम कर रही है, जो उन लोगों की शिकायतों का जवाब दे रही है जो सरकार द्वारा निर्धारित कीमतों पर आवश्यक वस्तुओं को सुरक्षित नहीं कर पा रहे हैं।

जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने भारत सरकार को शिकायतों को ठीक से संबोधित करने का निर्देश दिया और इस निर्देश के साथ याचिका का निपटारा कर दिया गया।



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