"क्षण भर में ऐसा हुआ", "उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया": सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी की हत्या के आरोपी पति के आईपीसी की धारा 302 के तहत दोषसिद्धि को रद्द किया

Update: 2022-11-28 15:33 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी की हत्या के आरोपी पति की हत्या की सजा को रद्द कर दिया और इसे आईपीसी की धारा 304 भाग II के तहत सजा में बदल दिया। यह तब हुआ जब अदालत ने पाया कि यह घटना अचानक हुई थी और आरोपी ने पत्नी को अस्पताल ले जाने के लिए तत्काल कदम उठाए थे।

आरोपी पर पत्नी की हत्या का आरोप लगाया गया था और इस मामले में एकमात्र चश्मदीद गवाह उसकी सात साल की बेटी थी। ट्रायल कोर्ट द्वारा आईपीसी की धारा 302 के तहत दी गई सजा को दिल्ली हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपीलकर्ता अभियुक्त ने तर्क दिया कि भले ही घटना को उस तरीके से स्वीकार किया जाता है जिस तरह से यह हुआ था, लेकिन यह क्षण भर में हुआ था।

अदालत ने कहा कि बाल गवाह के साक्ष्य की सत्यता पर ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने विस्तृत विचार किया है। पीठ ने कहा कि बाल गवाह ने कहा था कि उसकी मां ने उसके पिता से कुछ कहा जिस पर पिता ने उसकी मां को पीटना शुरू कर दिया; कि वह घर के दरवाजे की कुंडी नहीं खोल पाई और उसके बाद वह तुरंत वहां गई; कि तुरंत उसके पिता ने कपड़े पहने और उसकी मां को अस्पताल ले गए।

जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा,

"मामले के इन पहलुओं से संकेत मिलता है कि मौत का कारण पूर्व विचारित नहीं था और घटना पल भर में हुई थी और अपीलकर्ता गलती का एहसास होने के बाद पत्नी को अस्पताल ले जाने के लिए तत्काल कदम उठाए लेकिन वह गुजर गई।",

इसलिए पीठ ने सजा को आईपीसी की धारा 304 पार्ट II में बदल दिया। जैसा कि अभियुक्त पहले ही 12 साल की सजा काट चुका है, अदालत ने कहा कि जो अवधि गुजर चुकी है, वही पर्याप्त सजा होगी।

केस टाइटलः जय करण यादव बनाम राज्य (दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) | 2022 लाइवलॉ (SC) 992 | सीआरए 2038 ऑफ 2022| 23 नवंबर 2022 | जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस पीएस नरसिम्हा

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