स्पाइसजेट और क्रेडिट सुइस ने विवाद सुलझाया, सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ली
मद्रास हाईकोर्ट द्वारा गुरुवार को पारित समापन आदेश को चुनौती देने वाली एयरलाइन कंपनी स्पाइसजेट लिमिटेड की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की। एयरलाइन कंपनी ने कहा कि वह लेनदार के साथ समझौता कर चुकी है और मद्रास हाईकोर्ट के समापन आदेश के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका को वापस लेने के लिए सहमत हो गई है।
चीफ जस्टिस एनवी रमाना, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सी.टी. रवि कुमार की बेंच से सक्षम यह मामला विचाराधीन था।
संक्षेप में मामले की पृष्ठभूमि यह है कि क्रेडिट सुइस एजी, स्विट्जरलैंड स्थित स्टॉक कॉरपोरेशन और लेनदार द्वारा स्पाइसजेट के खिलाफ कंपनी याचिका दायर की गई थी। इसमें एयरलाइंस की ओर से पूर्व के कर्ज का भुगतान करने में असमर्थता का आरोप लगाया गया। तदनुसार, मद्रास हाईकोर्ट ने स्पाइसजेट के खिलाफ दिसंबर, 2021 में एक समापन आदेश पारित किया।
जस्टिस आर. सुब्रमण्यम की एकल पीठ ने आधिकारिक परिसमापक को कंपनी की संपत्ति का अधिग्रहण करने का निर्देश दिया। हालांकि, जनवरी, 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने समापन आदेश के प्रकाशन पर रोक लगा दी। स्पाइसजेट के वकील सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने कहा कि कंपनी स्विस लेनदार के साथ समझौते पर काम कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कार्यवाही में एयरलाइन कंपनी ने प्रस्तुत किया कि हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार मद्रास हाईकोर्ट रजिस्ट्रार को बैंक गारंटी दी गई है। हालांकि, स्पाइसजेट और लेनदार के बीच समझौते की सहमति की शर्तों के अनुसार, उक्त बैंक गारंटी को जारी किया जाना है और बैंक को वापस करना है।
अदालत ने स्पाइसजेट को सलाह दी कि वह हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाए और अपना पैसा जारी करने के लिए कहे।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश में इस प्रकार कहा गया,
"समझौता सहमति की शर्तों के अनुसार 23.05.2022 को हुआ। इसे देखते हुए दोनों पक्षों ने समझौते को संतुष्ट किया और याचिकाकर्ता द्वारा दायर एसएलपी को वापस लेना चाहते हैं। तदनुसार, आवेदन की अनुमति है। पक्ष सहमति की शर्तों का पालन करने के लिए निर्देशित किया जाता है। उल्लेखनीय है कि मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार, हाईकोर्ट में कुछ राशि जमा की गई है। पक्षकारों को धन जारी करने के लिए आवेदन करने की स्वतंत्रता है। "
केस टाइटल: स्पाइसजेट लिमिटेड बनाम क्रेडिट सुइस एजी