सोनम वांगचुक ने नज़रबंदी के खिलाफ कोई आवेदन नहीं दिया: अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में बताया
लेह ज़िला मजिस्ट्रेट ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत अपनी निवारक नज़रबंदी को चुनौती देने के लिए अभी तक कोई आवेदन नहीं दिया।
सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में ज़िला मजिस्ट्रेट ने कहा कि नज़रबंदी का आदेश 26 सितंबर को उचित विचार-विमर्श के बाद पारित किया गया। यह विश्वसनीय सूचनाओं पर आधारित है, जो दर्शाती हैं कि वांगचुक "राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हानिकारक गतिविधियों में लिप्त थे।"
उन्हें लद्दाख में राज्य के दर्जे की मांग को लेकर हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद नज़रबंद रखा गया।
अवैध नज़रबंदी के आरोपों को खारिज करते हुए हलफनामे में आगे कहा गया कि वांगचुक की पत्नी को लेह पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी के बारे में तुरंत सूचित किया गया और परिवार को जोधपुर सेंट्रल जेल में उनके स्थानांतरण के बारे में "समय पर सूचित" किया गया।
बताया गया कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम की धारा 8 के तहत निर्धारित पांच दिनों की समय-सीमा के भीतर, 29 सितंबर को वांगचुक को हिरासत के कारणों से अवगत करा दिया गया। हलफनामे में आगे कहा गया कि हिरासत के बाद और जोधपुर सेंट्रल जेल में पेशी के बाद उनकी मेडिकल जांच की गई और उन्हें स्वस्थ पाया गया। वांगचुक ने यह भी बताया कि वे किसी भी प्रकार की दवा का सेवन नहीं कर रहे हैं।
धारा 10 के अनुसार हिरासत आदेश सलाहकार बोर्ड को भेज दिया गया। हालांकि, उन्होंने अभी तक कोई अभ्यावेदन नहीं दिया। अधिनियम के अनुसार, केवल बंदी ही अभ्यावेदन दे सकता है। फिर भी लेह के ज़िला मजिस्ट्रेट ने कहा कि उनकी पत्नी द्वारा राष्ट्रपति को भेजा गया पत्र भी सलाहकार बोर्ड के समक्ष रखा गया।
जोधपुर सेंट्रल जेल के अधीक्षक ने भी अलग हलफनामे में वांगचुक की मेडिकल योग्यता का समर्थन किया। जेल अधीक्षक ने आगे कहा कि 4 अक्टूबर को वांगचुक के वकील मुस्तफा हाजी और उनके भाई त्सेतेन दोरजे को उनसे एक घंटे के लिए मिलने की अनुमति दी गई। इसके अलावा, उनकी पत्नी डॉ. गीतांजलि अंगमो ने अधिवक्ता सर्वम रिठे खरे के साथ 7 अक्टूबर को उनसे एक घंटे तक मुलाकात की।
जेल अधिकारी ने बताया,
वांगचुक के अनुरोध पर उन्हें 12 अक्टूबर को लैपटॉप दिया गया। हालांकि जेल नियमों के तहत ऐसा कोई आदेश नहीं है।
ये हलफनामे उनकी पत्नी डॉ. गीतांजलि अंगमो द्वारा वांगचुक की नज़रबंदी को चुनौती देने वाली याचिका के जवाब में जारी किए गए हैं।
जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की खंडपीठ आज यानी बुधवार को इस मामले की सुनवाई करेगी।