सोल प्रोपराइटरी कंपनी दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू नहीं कर सकती : एनसीएलटी

Update: 2019-10-11 11:15 GMT

एनसीएलटी दिल्ली ने कहा है कि चूँकि सोल प्रोपराइटरी हक़ वाली कंपनी शोध-अक्षमता और दिवालिया संहिता, 2016 की धारा 3(23) के तहत कोई व्यक्ति नहीं है सो वह दिवालिये की कार्रवाई शुरू नहीं कर सकती है।

याचिकाकर्ता आरजी स्टील्ज़ ने ऑपरेशनल क्रेडिटर (ओसी) के रूप में ट्रिब्यूनल में धारा 9 आवेदन दायर कर निगमित क़र्ज़दार मै. बेरीज ऑटो एनसीलरिज प्राइवेट लिमिटेड के ख़िलाफ़ निगमित दिवालियापन की प्रक्रिया (सीआईआरपी) शुरू करने की माँग की थी। आरजी स्टील की दलील थी कि बेरी ऑटो ने उसे 15 लाख रुपए अधिक की राशि नहीं चुकाई है।

आरजी स्टील्ज़ ने अपने दावे के समर्थन में लेज़र खाते, भुगतान नहीं हुए चालान की कॉपी आदि पेश किए। सीडी बेरीज ने 8 दिसंबर 2018 को जारी नोटिस का जवाब दिया जिसमें उसने इस तरह के किसी भी दावे को ख़ारिज कर दिया।

केके वोहरा और आर वरधराजन की एनसीएलटी पीठ ने कहा कि बेरीज ऑटो प्राइवेट लिमिटेड सोल प्रोपराइटरी (एकमात्र मालिकाना हक़) वाली कंपनी है। पीठ ने कहा कि इसके बावजूद कि आईबीसी की धारा 3(23) के तहत 'व्यक्ति' की परिभाषा को खींचकर इसमें सोल प्रोपराइटरी वाली कंपनी को भी शामिल नहीं किया जा सकता है।

धारा 3(23) में 'व्यक्ति' की परिभाषा दी गई है और इसमें कोई निजी व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार, एक कंपनी, एक ट्रस्ट, एक पार्टनरशिप, एक लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप और कोई भी कंपनी जो किसी क़ानून के तहत स्थापित की गई है, आती है और इसके तहत कोई व्यक्ति भी शामिल है जो भारत के बाहर रह रहा है।

इसके अलावा, पीठ ने पाया कि दोनों के बीच पहले से भी दर और कुल ऋण के दावे को लेकर मामला चल रहा है और बेरीज ऑटो ने जो विवरण भेजा उसमें इसका ज़िक्र किया गया है।

इस तरह, 'व्यक्ति' जो कि 'सोल प्रोपराइटरी कंपनी' की परिभाषा में शामिल नहीं है और दोनों के बीच पुराने विवादों को देखते हुए, ट्रिब्यूनल ने कहा कि आरजी स्टील्ज़ ने दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करने का जो आवेदन दिया है वह मान्य नहीं है और इसलिए उसे ख़ारिज किया जाता है। 

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