सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से अदाणी-हिंडनबर्ग जांच पूरी करने के लिए 15 दिन और देने का अनुरोध किया; कहा- जांच में 'पर्याप्त प्रगति' हुई
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आज सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर कर अदाणी समूह की कंपनियों के खिलाफ अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच पूरी करने के लिए 15 दिन और मांगे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई समयसीमा आज 14 अगस्त को खत्म हो रही है।
आवेदन में सेबी ने अदालत को बताया कि "उसने काफी प्रगति की है"।
सेबी ने बताया कि एक मामले में, उपलब्ध सामग्रियों के आधार पर एक अंतरिम रिपोर्ट तैयार की गई है और उसने विदेशी न्यायक्षेत्रों आदि में एजेंसियों और नियामकों से जानकारी मांगी है। ऐसी जानकारी प्राप्त होने पर, उक्त मामले में आगे की कार्रवाई, यदि कोई हो, निर्धारित करने के लिए वह इसका मूल्यांकन करेगा।
शेष 6 मामलों में से 4 में, निष्कर्षों को स्पष्ट कर दिया गया है और रिपोर्ट सक्षम अधिकारियों की मंजूरी की प्रतीक्षा कर रही है। बाकी दो मामलों में एक मामले में जांच अंतिम चरण में है और दूसरे मामले में अंतरिम रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
अदालत ने पहले स्टॉक मूल्य में हेरफेर के बारे में अदाणी समूह की कंपनियों के खिलाफ आरोपों की जांच पूरी करने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के लिए समय 14 अगस्त, 2023 तक बढ़ा दिया था। पीठ ने 17 मई को सेबी द्वारा दायर एक आवेदन पर विस्तार आदेश पारित किया था, जिसमें जांच पूरी करने के लिए 6 महीने का अतिरिक्त समय मांगा गया था। शीर्ष अदालत द्वारा 2 मार्च के आदेश के अनुसार मूल रूप से दिया गया दो महीने का समय दो मई को समाप्त हो गया।
पृष्ठभूमि
24 जनवरी को अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें अदाणी समूह पर अपने स्टॉक की कीमतें बढ़ाने के लिए व्यापक हेरफेर और कदाचार का आरोप लगाया गया था। अदाणी ग्रुप ने 413 पेज का जवाब प्रकाशित कर आरोपों का खंडन किया।
बाद में एडवोकेट विशाल तिवारी, एडवोकेट एमएल शर्मा, कांग्रेस नेता डॉ. जया ठाकुर, कार्यकर्ता अनामिका जयसवाल ने सुप्रीम कोर्ट में कई जनहित याचिकाएं दायर की, जिसमें मामले की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई।
2 मार्च 2023 को न्यायालय ने एक समिति का गठन किया और निम्नलिखित व्यक्तियों को समिति के सदस्यों के रूप में नियुक्त किया- श्री ओपी भट्ट (एसबीआई के पूर्व अध्यक्ष), सेवानिवृत्त न्यायाधीश जेपी देवधर, श्री केवी कामथ, श्री नंदन नीलकेनी, श्री सोमशेखरन सुंदरेसन। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एएम सप्रे को समति का अध्यक्ष बनाया गया था।
अदालत ने समिति को 2 महीने के भीतर इस अदालत के समक्ष सीलबंद कवर में अपनी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। हालांकि, अदालत ने टिप्पणी की कि विशेषज्ञ समिति के गठन ने सेबी को भारत में प्रतिभूति बाजार में अस्थिरता की जांच जारी रखने के लिए उसकी शक्तियों या जिम्मेदारियों से वंचित नहीं किया है। सेबी को दो महीने की अवधि के भीतर एक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया गया।
बाद में, सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर कर आरोपों की जांच पूरी करने के लिए छह महीने का विस्तार मांगा।
सेबी ने अपने आवेदन में कहा कि जिन परीक्षाओं/जांचों के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता होगी, उन्हें तीन व्यापक श्रेणियों में बांटा जाएगा:
(i) जहां प्रथम दृष्टया उल्लंघन पाया गया है और निर्णायक निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए 6 महीने की अवधि की आवश्यकता होगी।
(ii) जहां प्रथम दृष्टया उल्लंघन नहीं पाया गया है, वहां विश्लेषण को दोबारा मान्य करने और निर्णायक निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए 6 महीने की अवधि की आवश्यकता होगी।
(iii) ऐसे मामलों में, जहां आगे की जांच की आवश्यकता है और इस उद्देश्य के लिए आवश्यक अधिकांश डेटा उचित रूप से सुलभ होने की उम्मीद है, 6 महीने में एक निर्णायक निष्कर्ष आने की उम्मीद है।
सेबी ने जवाबी हलफनामे में कहा था कि लेनदेन जटिल हैं और जांच के लिए अधिक समय की आवश्यकता है। सेबी ने शीर्ष अदालत की पीठ को सूचित किया है कि उसने न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) मानदंडों की जांच के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन (आईओएससीओ) के साथ बहुपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमएमओयू) के तहत पहले ही ग्यारह विदेशी नियामकों से संपर्क किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 6 महीने का विस्तार देने से इनकार कर दिया लेकिन समय 14 अगस्त, 2023 तक बढ़ा दिया। मामला 29 अगस्त, 2023 को सूचीबद्ध है।
केस टाइटल: विशाल तिवारी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य। | रिट पीटिशन (सिविल) नंबर 162/2023 और अन्य संबंधित मामले