'एकतरफा जारी किया गया सर्कुलर': एससीबीए ने हाइब्रिड फिजिकल सुनवाई की बहाली के लिए एसओपी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
सुप्रीम कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने एक रिट याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा पिछले सप्ताह 15 मार्च से 'हाइब्रिड फिजिकल हियरिंग' को सक्षम करने के लिए जारी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) को रद्द करने की मांग की है।
याचिका में एडवोकेट राहुल कौशिक ने कहा कि 5 मार्च को जारी किए गए एसओपी को रजिस्ट्री द्वारा बार के साथ बिना किसी विचार-परामर्श के जारी किया गया है।
याचिका में कहा गया है,
"बार न्याय वितरण प्रणाली के वितरण में एक समान हितधारक है और बार द्वारा दिए गए सुझावों को ध्यान में रखा जाना चाहिए।"
याचिका में कहा गया है कि 1 मार्च को आयोजित सीजेआई के साथ SCBA की कार्यकारी समिति की बैठक में फिजिकल सुनवाई के संबंध में यह आश्वासन दिया गया था कि रजिस्ट्री SCBA द्वारा दिए गए सुझावों को ध्यान में रखते हुए एसओपी जारी करेगा।
अब याचिका में यह दावा किया गया है कि रजिस्ट्री द्वारा जारी किए गए एसओपी को "एकतरफा" जारी किया गया है।
याचिका में आगे कहा गया कि बार में आम राय है कि पिछले कुछ सालों से सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री बार को विश्वास में लिए बिना सर्कुलर जारी कर रही है, हालांकि ऐसे सर्कुलर सीधे तौर पर वकीलों की प्रैक्टिस को प्रभावित करते हैं।
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने 15 मार्च से हाइब्रिड फिजिकल कोर्ट की सुनवाई फिर से शुरू करने का निर्देश देते हुए 5 मार्च को अपना स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी किया था। अब अदालत ने COVID-19 महामारी और बार एसोसिएशनों द्वारा दिए गए सुझावों को ध्यान में रखते हुए अपने कामकाज के बारे में कई दिशा-निर्देश जारी किए।
कोर्ट ने प्रायोगिक आधार पर हाइब्रिड मोड में मामलों की सुनवाई के लिए एक पायलट योजना तैयार की। योजना के अनुसार, मंगलवार और बुधवार को सूचीबद्ध अंतिम सुनवाई और एक मामले में पार्टियों की संख्या और कोर्ट रूम की सीमित क्षमता पर विचार करने के बाद नियमित मामलों को हाइब्रिड मोड में सुना जाएगा। हालाँकि सोमवार और शुक्रवार को सूचीबद्ध किए गए अन्य सभी मामलों को वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग मोड के माध्यम से सुना जाना जारी रहेगा।
शनिवार, 1 मार्च 2021 को हुई बैठक में सीजेआई बोबड़े द्वारा दिए गए आश्वासन के बावजूद SCBA ने उक्त एसओपी को स्वीकार नहीं करने का फैसला किया, क्योंकि यह बार को विश्वास में लिए बिना तैयार किया गया है।
अपनी याचिका में एसोसिएशन ने जोर देकर कहा कि फिजिकल सुनवाई सभी दिनों के लिए होनी चाहिए यानी सोमवार से शुक्रवार तक।
हालांकि, प्रभावी एसओपी में कहा गया कि,
"सोमवार और शुक्रवार को सूचीबद्ध मामलों के लिए हाइब्रिड सुनवाई के लिए कोई प्रावधान नहीं है, अर्थात् विभिन्न दिन जब मुख्य रूप से ताजा मामले सूचीबद्ध होते हैं।"
याचिका में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मौखिक उल्लेख का मुद्दा भी उठाया गया है, जो COVID-19 महामारी से पहले के दिनों के दौरान प्रचलन में था।
याचिका में आगे कहा गया,
"पिछले एक साल से यह माननीय न्यायालय वर्चुअल सुनवाई के माध्यम से काम कर रहा है और मानक संचालन प्रक्रिया दिनांक 05.03.2021 में मौखिक उल्लेख करने का कोई प्रावधान नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप वकील अभी भी मौखिक उल्लेख नहीं कर पाएंगे।"
उसने कहा कि लिस्टिंग की अजीबो-गरीब प्रणाली की वजह से बड़ी संख्या में जरूरी मामले अनसुने होते जा रहे हैं, यानी मेंशनिंग रजिस्ट्रार को ईमेल भेजकर आग्रह करने की वजह बताई जा रही है।
एसोसिएशन ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट सहित अधिकांश हाईकोर्ट ने या तो फिजिकल न्यायालयों को शुरू कर दिया है या वे फिजिकल न्यायालय शुरू करने की प्रक्रिया में हैं। फिर यह सही समय है कि हर दूसरे संस्थान की तरह सुप्रीम कोर्ट भी सामान्य स्थिति बहाल करे।
इसके लिए प्रवेश द्वार पर तापमान की जांच, मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने जैसी पर्याप्त सावधानियों के साथ फिजिकल सुनवाई को फिर से शुरू कर सकता है।