सु्प्रीम कोर्ट ने वकील के कथित पेशागत कदाचार के खिलाफ शिकायत खारिज करने का बीसीआई का फैसला बरकरार रखा

Update: 2020-07-22 06:29 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने, पिछले सप्ताह, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें उसने एक वकील के खिलाफ पेशागत कदाचार की शिकायत खारिज कर दी थी।

हरमनभाई उम्मेदभाई पटेल ने एक व्यक्ति के खिलाफ वाद दायर किया था, जिसने कथित तौर पर गौचर भूमि का अतिक्रमण कर लिया था। बिंदु कुमार मोहनलाल शाह उस मुकदमे में बचाव पक्ष के वकील थे।

बार काउंसिल के समक्ष शिकायत यह थी कि बचाव पक्ष के वकील बिंदु कुमार मोहनलाल शाह ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया था, जिसने संबंधित सम्पत्ति की प्रकृति के बोर में लोगों को गुमराह किया है। उस वकील ने यह सार्वजनिक नोटिस जारी किया था कि विट्ठलभाई बाबरभाई पटेल को संबंधित भूमि का मालिक घोषित किया गया है।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने वकील के खिलाफ शिकायत यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि वकील की ओर से किसी भी तरह का पेशागत कदाचार नहीं हुआ था।

शीर्ष अदालत के समक्ष अपील में बीसीआई के आदेश को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि किसी वकील का अपने मुवक्किल के प्रति ही केवल दायित्व नहीं होता, बल्कि कोर्ट और समाज के प्रति भी उसका दायित्व होता है। इस मामले में शीर्ष अदालत के पूर्व के दो आदेशों- 'डी पी चड्ढा बनाम त्रियोगी नारायण मिश्रा 2001(2) एससीसी 221' तथा 'पंजाब सरकार एवं अन्य बनाम बृजेश्वर सिंह चहल 2016(6) एससीसी 1'- को ध्यान में रखा गया। डी. पी. चड्ढा मामले में यह कहा गया था कि पेशागत दायित्व निभाते वक्त वकील का अपने मुवक्किल, अपने विरोधी, कोर्ट, समाज और खुद के प्रति दायित्व होता है।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की खंडपीठ ने वकील द्वारा जारी किये गये सार्वजनिक नोटिस पर विचार करते हुए कहा,

"यद्यपि प्रतिवादी के वकील ने सार्वजनिक नोटिस में अपने मुवक्किल के नाम का उल्लेख नहीं किया है, बार काउंसिल ऑफ इंडिया की अनुशासन समिति ने यह सही निर्णय दिया कि प्रतिवादी ने ऐसा कोई अनैतिक कार्य नहीं किया जो किसी पेशागत कदाचार के दायरे में रखा जा सके।" 

आदेश की प्रति डाउनलोड करें



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