सुप्रीम कोर्ट ने यूएपीए मामले में जमानत बरकरार रखते हुए एनआईए से कहा- ऐसा लगता है कि आपको किसी व्यक्ति के न्यूज पेपर पढ़ने में भी दिक्कत है

Update: 2022-07-14 07:48 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यूएपीए (UAPA) मामले में आरोपी को दी गई जमानत के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए मौखिक रूप से टिप्पणी की,

"जिस तरह से आप कर रहे हैं, ऐसा लगता है कि आपको किसी व्यक्ति के न्यूज पेपर पढ़ने में भी दिक्कत है।

एनआईए ने झारखंड हाईकोर्ट द्वारा यूएपीए मामले में एक कंपनी के महाप्रबंधक को कथित तौर पर जबरन वसूली के लिए तृतीया प्रस्तुति समिति (टीपीसी) नामक एक माओवादी खंडित समूह के साथ संबद्ध होने के लिए जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

हाईकोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हेमा कोहली की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि प्रबंधक टीपीसी के जोनल कमांडर के निर्देश पर जबरन वसूली करता था।

उन्होंने यह भी आग्रह किया कि आरोपी टीपीसी सहकारी समितियों को भुगतान के लिए ट्रांसपोर्टरों और डीओ धारकों से फंड एकत्र कर रहा था।

CJI ने कहा,

"जिस तरह से आप कर रहे हैं, ऐसा लगता है कि आपको एक व्यक्ति के अखबार पढ़ने से भी दिक्कत है। याचिका खारिज की जाती है।"

आधुनिक पावर एंड नेचुरल रिसोर्सेज लिमिटेड के महाप्रबंधक संजय जैन को दिसंबर 2018 में इस आरोप में गिरफ्तार किया गया था कि वह जबरन वसूली रैकेट चलाने में टीपीसी से जुड़ा हुआ था। वह अपनी गिरफ्तारी के बाद से दिसंबर 2021 में हाईकोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने तक हिरासत में था।

जस्टिस चंद्रशेखर और जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा था कि यूएपीए अपराध प्रथम दृष्टया नहीं है।

हाईकोर्ट ने आदेश में कहा था,

"हो सकता है कि टीपीसी आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त हो, टीपीसी को लेवी राशि का भुगतान करने और टीपीसी सुप्रीमो के साथ बैठक करने में अपीलकर्ता के कृत्य यूए (पी) अधिनियम की धारा 17 और 18 के तहत नहीं आते हैं।"

कोर्ट ने कहा,

"हमारी राय है कि यह मानना संभव नहीं है कि अपीलकर्ता अपने कृत्यों से, जैसे कि अक्रमण जी से मिलना और अक्रमण जी को भुगतान करना, टीपीसी का सदस्य बन गया। धारा 43-D की उप-धारा (5) के तहत प्रतिबंध तब लागू होगा जब अभियोजन पक्ष अदालत को संतुष्ट करता है कि यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि अभियुक्तों के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सही हैं।"

हाईकोर्ट ने इस तथ्य को भी ध्यान में रखा कि मामले में आरोप पत्र दायर किया गया है और मुकदमा शुरू हो गया है।

कोर्ट ने कहा,

"गवाहों के बयान से, विशेष रूप से, पीडब्लू42 और पीडब्लू43, हम पाते हैं कि अपीलकर्ता ने अपने आवास पर तलाशी और जब्ती के दौरान जांच एजेंसी के साथ सहयोग किया और 13 तारीख को गिरफ्तार होने से पहले उसने खुद छापेमारी टीम को सभी आवश्यक दस्तावेज और सूचनाएं प्रदान कीं। दिसंबर 2018 में अपीलकर्ता को नौ मौकों पर पूछताछ के लिए एनआईए द्वारा बुलाया गया था और ऐसा कोई आरोप नहीं है कि जांच के दौरान अपीलकर्ता ने जांच में सहयोग नहीं किया। यह भी रिकॉर्ड की बात है कि खोज के दौरान उसके लैपटॉप में प्रविष्टियों को छोड़कर हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया है कि कोई भी आपत्तिजनक वस्तु, जैसे कि उसकी आय से अधिक राशि की भारी नकदी और गहने बरामद नहीं किए गए थे, और यह एनआईए द्वारा स्थापित मामला नहीं है कि बड़ी राशि उसके बैंक खातों में जमा की गई थी।"

केस टाइटल: यूनियन ऑफ इंडिया वी. संजय जैन| एसएलपी (सीआरएल) संख्या 4602/2022

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