केजरीवाल सरकार की महिलाओं को मुफ्त मेट्रो यात्रा पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल, कहा लालच को क्यों दे रही है सरकार

Update: 2019-09-06 11:23 GMT

दिल्ली में मेट्रो फेज 4 को लेकर फंडिंग के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार के महिलाओं को मुफ्त मेट्रो यात्रा के प्रस्ताव पर जमकर फटकार लगाई।

जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि एक तरफ दिल्ली सरकार ऐसे प्रस्ताव दे रही है तो दूसरी ओर वो अदालत से केंद्र को पचास प्रतिशत सहन करने के लिए दिशा- निर्देश चाहता है। महिलाओं को ये प्रलोभन क्यों दिया जा रहा है।

जस्टिस मिश्रा ने कहा कि दिल्ली सरकार DMRC के वित्तीय स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है और ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाना चाहिए जिससे यह घाटे में चले। अगर मेट्रो को घाटा होता है तो ये दिल्ली सरकार को सहन करना होगा। जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा, "यदि आप लोगों को मुफ्त यात्रा करने की अनुमति देते हैं तो यह एक समस्या होगी। "

जस्टिस अरुण मिश्रा ने दिल्ली सरकार से कहा, "तब हम सब बंद कर देंगे। आप नुकसान के बारे में बात करते हैं और यहां रकम के लिए लड़ रहे हैं। ये जनता का पैसा है जो आप संभालते हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में कोर्ट शक्तिविहीन नहीे है। स्व-उपचारित दिवालियापन रास्ते में नहीं आना चाहिए।

दरअसल दिल्ली सरकार घाटा साझा करने से इनकार कर रही थी तो पीठ ने कहा कि परिवहन के लिए राज्य जिम्मेदार है। वहीं EPCA ने पीठ को बताया कि पिछले पांच सालों में मेट्रो को परिचालन में कोई नुकसान नहीं हुआ है।

इस दौरान पीठ ने आदेश दिया कि केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों कुल लागत 2447.19 करोड़ रुपये का आधा-आधा हिस्सा देंगे। हालांकि केंद्र सरकार ने इस पर आपत्ति जताई कि इस तरह दूसरे राज्य भी आ जाएंगे तो पीठ ने साफ किया कि यह व्यवस्था प्रदूषण के मुद्दों को ध्यान में रखते हुए केवल दिल्ली के लिए है। 

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