भोजन का अधिकार : सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से पूछा, सभी को भोजन सुनिश्चित करने के लिए उनके पास शिकायत निवारण तंत्र है ?
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सभी राज्यों को नोटिस जारी किया है और इस मुद्दे पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी है कि क्या राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सभी को भोजन सुनिश्चित करने के लिए उनके पास शिकायत निवारण तंत्र है ?
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने राज्यों को 4 सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है।
पीठ ने देश भर में भुखमरी से मौत के मामलों को उजागर करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।
दलीलों में आरोप लगाया गया है कि आधार कार्ड न होने के कारण सरकारी सामाजिक कल्याण योजना के तहत राशन से वंचित होने के बाद लोगों की भुखमरी से मौत हो गई।
याचिकाकर्ता कोइली देवी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने प्रस्तुत किया कि कई आदिवासियों के पास या तो आधार कार्ड नहीं है या वे आधार के साथ लिंक करना नहीं जानते हैं।
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा,
"मैं पीठ का हिस्सा था (जिसने आधार मामले का फैसला किया था)। यह बहुत स्पष्ट था कि लोगों को आधार कार्ड ना होने के आधार पर किसी भी सामाजिक कल्याण योजना के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है।"
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत शिकायत निवारण तंत्र की अनिवार्य आवश्यकता का उल्लेख करते हुए, न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि "हम इस मुद्दे की निगरानी के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति नियुक्त करना चाहते हैं।"
CJI ने वकील से नियुक्ति के लिए नाम सुझाने के लिए भी कहा।
वहीं केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को सूचित किया कि रिपोर्ट से पता चलता है कि ये मौत के मामले, (जो याचिका में कहा गया है) भुखमरी के कारण नहीं हैं। आधार ना होने पर किसी को भी भोजन से वंचित नहीं किया गया। यहां तक कि सरकार ने सभी राज्यों को सभी के लिए भोजन सुनिश्चित करने के लिए अधिसूचना जारी की है।
यह याचिका संतोषी की मां कोइली देवी और बहन गुडिया देवी द्वारा दायर की गई थी, जो झारखंड के सिमडेगा की 11 वर्षीय लड़की थी, जिसकी 28 सितंबर, 2017 को भुखमरी से मृत्यु हो गई थी।
याचिका में आरोप लगाया गया कि संतोषी की मौत उसके परिवार के राशन कार्ड को रद्द करने के बाद हुई क्योंकि यह उनके आधार कार्ड से जुड़ा नहीं था। याचिका के अनुसार, मार्च 2017 से उन्हें राशन मिलना बंद हो गया। संतोषी की मौत के दिन उसकी मां ने के पास चाय और नमक ही बचे थे।