देश भर में दर्ज FIR की एक एजेंसी द्वारा जांच की शरजील इमाम की याचिका पर SC ने अरुणाचल प्रदेश, असम और मणिपुर को जवाब दाखिल करने के लिए और वक्त दिया

Update: 2020-06-19 09:42 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अरुणाचल प्रदेश, असम और मणिपुर राज्यों को दो सप्ताह का और समय दिया है ताकि वे देश भर में उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर पर एक ही एजेंसी द्वारा जांच के लिए शरजील इमाम की याचिका पर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करें।

जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने यूपी राज्य और दिल्ली सरकार द्वारा दायर जवाब को रिकॉर्ड में लिया और तीन सप्ताह बाद मामले को सूचीबद्ध किया।

वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे इमाम के लिए पेश हुए और उन्होंने इमाम के लिए अंतरिम राहत की मांग करते हुए कहा कि उन्हें तीन राज्यों को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि, उनके खिलाफ प्राथमिकी एक ऐसी स्थिति पैदा कर सकती है जहां उन्हें वारंट के पेश करने पर दिल्ली से लेकर यूपी तक बुलाया जा सकता है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रस्तुतियों पर आपत्ति जताई और कहा कि जो कुछ भी किया जाएगा वह कानून के शासन के अनुसार होगा।

इस बिंदु पर, अदालत ने कहा कि इमाम को कोई भी अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती है क्योंकि तत्काल याचिका केवल एफआईआर के इकट्ठा करने से संबंधित है।

दरअसल 26 मई को  सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में दायर एफआईआर को एक साथ कर एक ही एजेंसी द्वारा जांच की शारजील इमाम की याचिका पर सुनवाई की ।

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने असम, यूपी, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश राज्यों को नोटिस जारी किए, जिनमें शरजील के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई हैं।

वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे, इमाम के लिए पेश हुए थे और हाल ही में अर्नब गोस्वामी द्वारा कई राज्यों में एफआईआर को रद्द करने की याचिका पर अदालत द्वारा दिए गए फैसले का हवाला दिया था।

जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने एक मई को दिल्ली पुलिस को याचिका का जवाब देने का निर्देश दिया था।

वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने प्रस्तुत किया था कि विभिन्न राज्यों द्वारा दर्ज सभी पांच एफआईआर उनके द्वारा दिए गए एक ही भाषण पर आधारित हैं।

जस्टिस अशोक भूषण ने कहा था कि पुलिस एफआईआर दर्ज करने में गलत नहीं है, अगर उन्हें कुछ संज्ञेय अपराध के बारे में पता चलता है।

इमाम पर राजद्रोह और अन्य गंभीर अपराधों के आरोप लग रहे हैं। वर्तमान में इमाम गुवाहाटी जेल में बंद हैं। 13 दिसंबरऔर 15 दिसंबर, 2019 को जामिया में हिंसा में शामिल होने के लिए जवाहरलाल विश्वविद्यालय के छात्र शरजील इमाम के खिलाफ विभिन्न राज्यों में पांच एफआईआर दर्ज की गई थीं। उन पर दिसंबर में भड़काऊ भाषण के कारण, जामिया दंगों को भड़काने और 15 जनवरी को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भाषण देने पर आरोप लगाए गए।

इमाम, जो पहले दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के विरोध के आयोजकों में से एक थे, उन पर राजद्रोह के आरोप लगे हैं, जिसमें IPC 124 & 153A (वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के अलावा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) ) अधिनियम की धारा 13 भी जोड़ी गई है।

25 अप्रैल को दिल्ली की एक अदालत ने UAPA के तहत खिलाफ जांच की अवधि को 90 दिनों से बढ़ाकर 180 दिन कर दिया, जिसका मतलब है कि जांच की अवधि तक इमाम की नज़रबंदी बढ़ गई है। इसके विस्तार की मांग करते हुए, दिल्ली की अपराध शाखा ने इस आधार पर अधिक समय मांगा था कि कोरोनावायरस लॉकडाउन ने जांच की गति को गंभीर रूप से बाधित कर दिया है।  

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