सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के लिए सहायता मांगने वाली स्वामी अग्निवेश की याचिका का केंद्र के आश्वासन के बाद निपटारा किया 

Update: 2020-04-15 11:17 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उस जनहित याचिका का निपटारा कर दिया  जिसमें COVID-19 महामारी के कारण लगाए गए राष्ट्रीय लॉकडाउन के मद्देनजर गरीबों, बेघरों और सभी आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को तत्काल राहत प्रदान करने की मांग की गई थी।

एक्टिविस्ट स्वामी अग्निवेश द्वारा दायर याचिका में देश भर में ग्रामीण और शहरी व स्लम क्षेत्रों में भोजन और अन्य आवश्यक आपूर्ति की कमी के बारे में चिंता जताई गई थी।

न्यायमूर्ति एन वी रमना, न्यायमूर्ति, संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ  ने मामले को सुना और केंद्र सरकार द्वारा जमीनी स्तर पर प्रस्तावित राहत उपायों के कार्यान्वयन के बारे में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के बयानों को दर्ज किया। 

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने प्रस्तुत किया कि लॉकडाउन ने एक बड़ा संकट पैदा कर दिया है और सॉलिसिटर जनरल (SG)  द्वारा पेश किए गए हलफनामे के बावजूद,  कि सब कुछ किया जा रहा है, उस पर कोई उचित कार्यान्वयन नहीं किया जा रहा है। 

SG तुषार मेहता ने पीठ को कहा कि केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि निर्देशों का पालन किया जाए।

उन्होंने ने कहा, 

"हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इसका पालन किया जाए। हम राज्यों से बात करेंगे। केंद्र सरकार के दिन-प्रतिदिन के निर्देशों का अनुपालन राज्यों द्वारा किया जा रहा है।" 

पीठ ने SG को बताया कि शिकायत यह है कि उपायों को जमीनी स्तर पर लागू नहीं किया जा रहा है। इस पर तुषार ने जवाब दिया कि बेंच के पास केंद्र सरकार पर भरोसा नहीं करने का कोई कारण नहीं है। 

SG ने "स्व-रोजगार पैदा करने वाली याचिकाओं" के नियमों पर भी प्रकाश डाला और कहा कि न्यायालयों को इस तरह की जनहित याचिकाओं पर विचार करने से बचना चाहिए।

पीठ ने SG  के बयान को दर्ज करने के लिए कहा कि याचिका में प्रार्थनाओं को संबोधित करने के लिए उचित कदम उठाए जा रहे हैं। तदनुसार, याचिका का निस्तारण किया गया।

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