INX मीडिया केस : सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका निष्प्रभावी बताकर खारिज की

Update: 2019-08-26 08:54 GMT

INX मीडिया मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। जस्टिस भानुमति और जस्टिस ए एस बोपन्ना की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के 20 अगस्त के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था।

पीठ ने कहा कि याचिका निष्प्रभावी हो गई है क्योंकि चिदंबरम को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है और उन्हें सीबीआई की हिरासत में भेज दिया गया है। पीठ ने कहा कि वह ट्रायल कोर्ट के समक्ष नियमित जमानत लेने के लिए स्वतंत्र हैं। पीठ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को हाई कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों से प्रभावित हुए बिना नियमित जमानत आवेदन पर विचार करना चाहिए।

INX मीडिया मामले में कथित भ्रष्टाचार के लिए सीबीआई मामले के अलावा प्रवर्तन निदेशालय ने लेनदेन में कथित मनी लॉंड्रिंग के लिए एक और मामला दायर किया है। ईडी मामले में अग्रिम जमानत याचिका पर पीठ अलग से विचार कर रही है।

सोमवार को चिदंबरम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और डॉ ए एम सिंघवी ने पीठ को यह समझाने की कोशिश की कि याचिका तब तक प्रभावहीन नहीं हुई है क्योंकि गिरफ्तारी से पहले उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित थी।सीबीआई उन्हें 21 अगस्त को गिरफ्तार नहीं कर सकती थी जबकि उनका मामला 23 अगस्त को विचार के लिए सूचीबद्ध किया गया था। दोनों ने कहा कि अदालत के पास केस को सूचीबद्ध करने के बाद की गई गिरफ्तारी के संबंध में यथास्थिति बहाल करने की शक्ति है। हालांकि पीठ ने इन दलीलों को नहीं माना और याचिका खारिज करने का आदेश दिया।

आरोप है कि 2007 में वित्त मंत्री रहते हुए चिदंबरम ने अपने बेटे कार्ति चिदंबरम के साथ जुड़ी कंपनियों के माध्यम से मीडिया हाउस से पारस्परिक लाभ लेकर INX द्वारा लगभग 305 करोड़ रुपये के विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को मंजूरी दी थी।सीबीआई और ईडी द्वारा क्रमशः 2017 और 2018 में मामले दर्ज किए गए थे।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 20 अगस्त को अग्रिम जमानत के उनके आवेदन को खारिज कर दिया था। पीठ ने कहा था कि यह "मनी लॉन्ड्रिंग का क्लासिक मामला" है। चिदंबरम को कथित भ्रष्टाचार सौदे का "किंगपिन और प्रमुख साजिशकर्ता" बताया गया था।इसके बाद सीबीआई के न्यायाधीश अजय कुमार कुहार ने 22 अगस्त को सीबीआई को चार दिनों के लिए रिमांड की अनुमति दी और कहा कि आरोप "प्रकृति में गंभीर" हैं और मामले में "विस्तृत और गहन जांच आवश्यक" है।  

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