सुप्रीम कोर्ट ने विधि सदस्य की नियुक्ति न होने तक सीईआरसी के दो सदस्यों को छुट्टी पर जाने का आदेश दिया

Update: 2020-08-29 09:39 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (सीईआरसी) के दो सदस्यों को तब तक छुट्टी पर जाने का आदेश दिया जब तक कि आयोग में एक विधि सदस्य की नियुक्ति नहीं हो जाती।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने यह आदेश आयोग में विधि क्षेत्र के एक सदस्य की नियुक्ति न होने को लेकर के. के. अग्रवाल द्वारा दायर अवमानना याचिका पर जारी किया।

यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के 2018 के उस फैसले पर अमल की मांग को लेकर दायर की गयी थी, जिसके तहत आयोग में विधि क्षेत्र के एक सदस्य की नियुक्ति को अनिवार्य बनाया गया था। उक्त आदेश के अनुसार आयोग में सदस्य के तौर पर वैसे व्यक्ति को नियुक्त किया जाना अनिवार्य था जो या तो न्यायिक अधिकारी है, या जिसे पेशागत योग्यताओं के साथ ही कानून की प्रैक्टिस में व्यापक अनुभव हो, जो हाईकोर्ट के जज या जिला जज के रूप में नियुक्त होने की पर्याप्त योग्यता रखता हो।

आयोग की वेबसाइट के अनुसार, सीईआरसी में फिलहाल अध्यक्ष के तौर पर श्री पी के पुजारी और दो अन्य सदस्य- श्री इंदु शेखर झा और श्री अरुण गोयल मौजूद हैं। इन दोनों सदस्यों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के 2018 के फैसले के बाद हुई है।

तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि 2018 के फैसले के बाद किसी भी सदस्य की नियुक्ति विधि क्षेत्र के सदस्य की नियुक्ति से पहले नहीं हो सकती थी।

कोर्ट ने कहा,

"जिस सदस्य की भी नियुक्ति हमारे (सुप्रीम कोर्ट के) फैसले के बाद हुई है उसे काम करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि यह इस कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अनुमति होगी, जिसमें कहा गया था कि आयोग में सबसे पहले विधि क्षेत्र से कोई व्यक्ति नियुक्त किया जायेगा।"

इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को सूचित किया कि विधि क्षेत्र के सदस्य की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है और सितम्बर 2020 तक इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया जायेगा।

उन्होंने यह भी दलील दी कि 2018 के फैसले के बाद जिन दो सदस्यों को आयोग में नियुक्त किया गया था, उन्हें विधि क्षेत्र के व्यक्ति की नियुक्ति तक छुट्टी पर जाने को कहा जाएगा।

बेंच ने मामले की सुनवाई 25 सितम्बर तक के स्थगित करते हुए कहा, "हम आपका बयान रिकॉर्ड पर लेते हैं।"

कोर्ट ने आगे कहा,

"हम यह स्पष्ट करते हैं कि यदि इस अवधि (सितम्बर 2020) के दौरान विधि क्षेत्र के व्यक्ति की नियुक्ति हो जाती है तो ही छुट्टी पर भेजे गये सदस्यों को फिर से ज्वॉइन करने की अनुमति दी जायेगी।" 

आदेश की प्रति 



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