दिल्ली के सराय काले खान इलाके में रैन बसेरा हटाए जाने का मामला: लोगों के पुनर्वास पर सुप्रीम कोर्ट 22 फरवारी को सुनवाई करेगा

Update: 2023-02-15 06:50 GMT

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) दिल्ली के सराय काले खान इलाके में रैन बसेरा हटाए जाने का मामले में लोगों के पुनर्वास पर 22 फरवारी को सुनवाई करेगा।

बता दें, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) के आदेशों के तहत दिल्ली के सराय काले खान में रैन बसेरों को हटा दिया गया है।

बुधवार की सुबह, वकील प्रशांत भूषण ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष तत्काल आवेदन का उल्लेख करते हुए कहा कि ये कार्रवाई शुरू हो गई है।

हालांकि, CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मामला जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष लिस्ट है।

वकील भूषण ने प्रस्तुत किया कि चूंकि जस्टिस भट बैठे नहीं हैं, इसलिए उन्हें तत्काल सीजेआई के समक्ष इस मामले का उल्लेख करना पड़ा।

वकील ने कहा,

"सराय काले में बिना किसी पुनर्वास के बसेरों को हटाया जा रहा है। कार्रवाई 10.30 के बाद शुरू होनी थी, लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि हम अभी इसका उल्लेख कर रहे हैं इसलिए उन्होंने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी। ये हो रहा है। मैं आपको तस्वीरें दिखा सकता हूं।"

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा,

"जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस दीपांकर दत्ता के सामने अभी उल्लेख करें। जस्टिस दत्ता जस्टिस भट के साथ बैठे हैं इसलिए इसका उल्लेख वहां करना होगा।"

आवेदन में कहा गया है कि लोगों को कोई वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराए बिना रैन बसेरों को तोड़ा जा रहा है।

जब तक जस्टिस रॉय और जस्टिस दत्ता की खंडपीठ ने इस मामले को उठाया, रैन बसेरों को पहले ही हटाया जा चुका है।

उसी पर विचार करते हुए जस्टिस रॉय ने कहा कि मामले में अत्यावश्यकता अब मौजूद नहीं है और वर्तमान स्तर पर कुछ भी नहीं किया जा सकता है।

हालांकि, जस्टिस दत्ता ने आगे जोड़ा कि, अब न्यायालय को पुनर्वास के मुद्दे पर विचार करना है।

उसी से सहमत होते हुए भूषण ने सुझाव दिया कि क्या आवेदन को मुख्य याचिका के साथ लिया जा सकता है जो 22 फरवरी, 2023 को आने वाली है।

जस्टिस रॉय ने उन्हें बाद के घटनाक्रमों को शामिल करने और एक नया आवेदन दायर करने के लिए कहा। उन्होंने संकेत दिया कि मुख्य याचिका के साथ संशोधित आवेदन 22 फरवरी, 2023 को लिया जा सकता है।

आवेदन में दिल्ली के सराय काले खान में स्थित रैन बसेरा 235 को हटाने पर रोक लगाने की मांग किया गया है। आवेदन के अनुसार, इस शहर के 50 से अधिक बेघर निवासियों के आश्रय गृह हैं।

आवेदन में कहा गया है कि रैन बसेरों के निवासियों के पुनर्वास के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था किए बिना रैन बसेरों को हटाया गया है। आश्रय को हटाने की सिफारिश की गई है क्योंकि आश्रय अपराध का विषय बन गया है और हिस्ट्रीशीटरों के लिए एक ठिकाना बन गया है और डीडीए सराय काले खान में यमुना बाढ़ क्षेत्र में बांसड़ा नाम का एक बांस का बगीचा बना रहा है और आश्रय गृह यहां स्थित है।

आवेदन में कहा गया है कि कानून और व्यवस्था की स्थिति शेल्टर को हटाने के लिए एक आधार नहीं हो सकती है जो रेलवे स्टेशन के निकट स्थित है जहां बेघर निवासी आमतौर पर काम करते हैं।

आगे इसमें कहा गया है कि शहरी बेघरों के लिए आश्रयों के निर्माण के लिए दिशानिर्देशों के अनुपालन में आश्रय की स्थापना की गई है।

आगे कहा गया,

"दिल्ली पुलिस ने कहा है कि शेल्टर के चारों ओर कचरा और भोजन फेंका जाता है जिससे विभिन्न बीमारियां होती हैं। शेल्टर के खराब कर्मचारी, स्वच्छता और रखरखाव शेल्टर को हटाने के लिए आधार नहीं हो सकते हैं, जहां बेघर लोग रहते हैं।"

केस टाइटल: दीपन बोरा और अन्य बनाम भारत संघ | डब्ल्यूपी (सी) 572/2003

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