''क्या अभियोजन स्वीकृति आवश्यक है, भले ही अभियुक्त संज्ञान लेते समय अपने पद पर नहीं था?'' सुप्रीम कोर्ट ने एचडी कुमारस्वामी की याचिका पर नोटिस जारी किया

Update: 2021-01-19 02:45 GMT

उच्चतम न्यायालय ने एचडी कुमारस्वामी की तरफ से दायर एक विशेष अवकाश याचिका पर नोटिस जारी किया है। यह नोटिस सिर्फ एक सीमित सवाल को लेकर जारी किया गया है कि क्या बिना मंजूरी के विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत शिकायत पर संज्ञान ले सकते हैं?

इस मामले में जेडी (एस) नेता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत दायर उसकी याचिका को खारिज कर दिया था।

जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की खंडपीठ के समक्ष, कुमारस्वामी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कहा कि वर्ष 2018 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 (1) (बी) में किए गए संशोधन को देखते हुए मंजूरी लेना आवश्यक है,भले ही संज्ञान लेने के समय याचिकाकर्ता अपने पद पर नहीं था या कार्यालय को नहीं संभाल रहा था।

इस मामले में, एक एम.एस.महादेव स्वामी ने विशेष न्यायाधीश,बेंगलूरु सिटी के समक्ष भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एक निजी शिकायत दायर की थी। इस शिकायत में एचडी कुमारस्वामी और 18 अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 120-बी रिड विद 406, 420, 463, 465, 468, 471 व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 13 (1) (सी), 13 (1) (डी), 13 (1) (ई) रिड विद13 (2) और कर्नाटक भूमि (स्थानांतरण पर प्रतिबंध) अधिनियम की धारा 3 और 4 रिड विद 34 के तहत दंडनीय अपराध के लिए मुकदमा चलाने की मांग की गई थी। विशेष अदालत ने इस मामले में संज्ञान लिया था,जिसके खिलाफ कुमारस्वामी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

हाईकोर्ट द्वारा विचारणीय मुद्दों में से एक यह था कि क्या याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू करना कानून की नजर में खराब है क्योंकि इस मामले में सीआरपीसी की धारा 197 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 के तहत पूर्व मंजूरी नहीं ली गई है? पहले के एक फैसले का हवाला देते हुए, हाईकोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 197 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 के तहत मंजूरी लेना आवश्यक नहीं है।

संशोधित धारा 19 के अनुसार,एक सेवानिवृत्त लोक सेवक के मामले में भी अभियोजन स्वीकृति पर जोर दिया जाता है या एक लोक सेवक जो उस पद पर अब नहीं है,जिस पर रहते हुए अपराध किया था, लेकिन अब वह किसी अन्य पद बना हुआ है।

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