धारा 50 एनडीपीएस एक्ट किसी व्यक्ति के पास मौजूद बैग से बरामदगी पर लागू नहीं होता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि एनडीपीएस एक्ट की धारा 50 में निर्दिष्ट व्यक्तिगत तलाशी की शर्तों के तहत केवल व्यक्ति के शरीर की तलाशी होती है, उसके पास मौजूद बैग की।
न्यायालय ने माना कि धारा 50 एनडीपीएस एक्ट की प्रयोज्यता को केवल शरीर तक सीमित रखना और किसी व्यक्ति के पास मौजूदा बैग को बाहर करना प्रावधान के उद्देश्य को विफल कर सकता है, जो तलाशी अभियान के दौरान जांच एजेंसियों द्वारा शक्तियों के दुरुपयोग के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करना है।
हालांकि, न्यायालय ने कहा कि उसे प्रावधान की स्पष्ट भाषा के अनुसार चलना होगा।
जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि फिर भी वह बड़ी पीठ के फैसलों से बंधी हुआ है, जिसने धारा की सरल भाषा में यह माना है कि धारा 50 केवल व्यक्ति पर लागू होती है।
फैसले में, विभिन्न उदाहरणों का व्यापक संदर्भ दिया गया, जिसमें धारा 50 की अलग-अलग व्याख्याएं दी गईं। निर्णयों के एक समूह में यह मानने के लिए सख्त दृष्टिकोण अपनाया गया था कि प्रावधान केवल व्यक्ति की तलाशी पर ही लागू होता है।
हालांकि, समय के साथ कोर्ट ने "व्यक्ति" शब्द को थोड़े व्यापक अर्थ में पढ़ना शुरू कर दिया ताकि यह अनिवार्य हो सके कि धारा 50 का अनुपालन किसी भी चीज की तलाशी करते समय भी किया जाए जो अभियुक्त से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है। परिणामस्वरूप, एक बैग जो आरोपी के पास है, उसे आरोपी से अटूट रूप से जुड़ा हुआ माना गया।
वर्तमान मामले में, न्यायालय हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ अपील पर विचार कर रहा था, जिसमें कहा गया था कि एनडीपीएस अधिनियम की धारा 50 एक बैग से बरामदगी पर लागू नहीं होती है।
कोर्ट ने कहा, "..हाईकोर्ट का यह कहना भी सही था कि एनडीपीएस एक्ट की धारा 50 का अनुपालन करना आवश्यक नहीं था क्योंकि बरामदगी बैग से हुई थी।"
कोर्ट ने अपील को खारिज कर दिया।
केस टाइटल: रंजन कुमार चड्ढा बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य
साइटेशन: 2023 लाइव लॉ (एससी) 856