राजीव गांधी हत्याकांड : सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से कहा, राज्यपाल से जानकारी लें, दोषियों की दया याचिका पर क्या कदम उठाया
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को कहा है कि वो राज्यपाल से संपर्क कर जानकारी ले कि दोषियों द्वारा राज्यपाल के समक्ष अनुच्छेद 161 के तहत दाखिल दया याचिका पर उन्होंने क्या कदम उठाया है। पीठ इस मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद करेगी।
इससे पहले राज्य सरकार ने सोमवार को जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ को बताया था कि सरकार ने 2018 में दोषियों की दया याचिका को राज्यपाल के पास विचार के लिए भेज दिया था। पीठ ने कहा कि अदालत राज्यपाल को नोटिस जारी नहीं कर सकती क्योंकि इसलिए सरकार उनसे जानकारी ले सकती है।
इससे पहले 21 जनवरी को अदालत ने राज्य को दो सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था कि दोषियों द्वारा राज्यपाल के समक्ष भारतीय संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत दाखिल दया याचिका पर क्या कदम उठाया गया है।
दरअसल दोषी ए जी पेरारीवलन व अन्य ने 2018 में राज्यपाल के समक्ष दया याचिका दाखिल कर सजा को माफ करने का अनुरोध किया था। जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ ने ये निर्देश जारी करते हुए केंद्र की रिपोर्ट पर फिर सवाल उठाए थे। पीठ ने कहा था कि ये साफ है कि सीबीआई इस मामले में बड़ी साजिश पर जांच नहीं करना चाहती। पुरानी दोनों रिपोर्ट एक जैसी हैं। इस जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है।
वहीं केंद्र की ओर से ASG पिंकी आनंद ने कहा था कि विदेशों से लेटर रोगेटरी का जवाब नहीं आया है। इससे पहले भी बड़ी साजिश की जांच कर रही मल्टी डिस्पलेनेरी मॉनिटरिंग अथॉरिटी ( MDMA) की स्टेटस रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी जताई थी।
सुनवाई के दौरान जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ ने कहा,
" इस स्टेटस रिपोर्ट और पुरानी रिपोर्ट में कोई अंतर नहीं है। हम ये जानना चाहते हैं कि इस मामले की जांच में दो साल के भीतर क्या हुआ।" पीठ ने केंद्र को निर्देश दिया था कि वो इस संबंध में नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे।"
दरअसल 5 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने MDMA से चार सप्ताह में नई स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी जिस पर केंद्र ने ये रिपोर्ट दाखिल की थी। पीठ ने ये आदेश दोषी एजी पेरारीवलन की आजीवन कारावास की सजा के निलंबन की याचिका पर दिया।
पेरारीवलन ने अपनी याचिका में कहा है कि जब तक मल्टी डिस्पलेनेरी मॉनिटरिंग अथॉरिटी ( MDMA) की जांच पूरी नहीं होती उनकी सजा निलंबित की जानी चाहिए। ये एजेंसी 1998 में जस्टिस जैन कमीशन की सिफारिश के आधार पर बनी थी।
2017 में पेरारीलवन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
इस दौरान पेरारीवलन के वकील गोपाल शंकरनारायण ने कहा था कि वो 26 साल से जेल में बंद हैं और उन्हें 9 वोल्ट की दो बैटरी सप्लाई के लिए दोषी करार दिया गया था जिससे बम बनाकर राजीव गांधी की हत्या की गई। उन्होंने सीबीआई के एसपी त्यागराजन के हलफनामे का हवाला दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि पेरारीवलन से बैटरी सप्लाई के बारे में सवाल नहीं किए। गोपाल ने कहा था कि MDMA भी अब तक उस शख्स से पूछताछ नहीं कर पाई है जिसने बम बनाया था और वो श्रीलंका में है।
गौरतलब है कि राजीव गांधी हत्याकांड में जैन कमिशन की रिपोर्ट के आधार पर मानव बम बनाने की साजिश को लेकर आगे जांच कराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
17 अगस्त 2017 को राजीव गांधी हत्याकांड में सजायाफ्ता एजी पेरारीवलन की जैन कमीशन के आधार पर आगे की जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से सवाल किए थे। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि राजीव गांधी की हत्या के लिए मानव बम बनाने की साजिश का केस क्या फिर से खोला गया? मानव बम बनाने की साजिश के केस का क्या नतीजा निकला? सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से इन सवालों के जवाब देने को कहा था। सीबीआई ने इस संबंध में सील कवर में जांच की स्टेटस रिपोर्ट भी कोर्ट में दाखिल की थी।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से कहा था कि जैन कमीशन के निर्देश के मुताबिक राजीव गांधी की हत्या की आगे जांच होनी ही चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से मामले की आगे की जांच के लिए चार हफ्ते में सील कवर में स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि सीबीआई बताए कि इस मामले की आगे की जांच कब तक पूरी हो सकती है? साथ ही यह भी बताए कि इस केस में फरार आरोपियों के प्रत्यर्पण समेत क्या-क्या कानूनी अड़चनें आ रही हैं? इसके अलावा कोर्ट ने पूछा था कि सीबीआई ने इन अड़चनों के लिए क्या कदम उठाए हैं?
सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से बताया गया था कि इस मामले की जांच चल रही है। लेकिन यह नहीं बताया जा सकता कि केस की जांच में कितना वक्त लगेगा। इस मामले में फरार आरोपियों के प्रत्यर्पण में भी वक्त लग रहा है। जब तक इन आरोपियों को वापस नहीं लाया जाएगा जांच पूरी नहीं हो सकती।
दरअसल राजीव गांधी हत्याकांड में दो मामले दर्ज किए गए थे। एक केस में मुरगन, नलिनी, पेरारीवलन समेत सात लोगों को सजा हो चुकी है। वे उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। दूसरे केस में लिट्टे चीफ प्रभाकरण, अकीला और पुट्टूअम्मन समेत 11 लोगों को साजिश का आरोपी बनाया गया था। याचिका में कहा गया है कि जैन कमीशन की सिफारिश के आधार पर मामले की आगे जांच के लिए सीबीआई की देखरेख में मल्टी डिस्पलेनेरी मॉनिटरिंग अथॉरिटी बनाई गई थी, लेकिन 20 साल बीत जाने पर भी जांच आगे नहीं बढ़ी।