सुप्रीम कोर्ट में राज्य DGP का चयन मुख्यमंत्री, विपक्षी नेता और हाईकोर्ट चीफ जस्टिस के पैनल द्वारा करने का प्रस्ताव
सुप्रीम कोर्ट में प्रकाश सिंह मामले में दिए गए DGP की नियुक्ति के निर्देशों के बार-बार उल्लंघन की जानकारी दी गई।
मूल रिट याचिकाकर्ता, प्रकाश सिंह ने भी एक आवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें DGP के लिए संशोधित चयन प्रक्रिया की मांग की गई, उसी तरह जैसे केंद्रीय स्तर पर तीन सदस्यीय समिति द्वारा CBI डायरेक्टर की नियुक्ति की जाती है।
चीफ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच प्रकाश सिंह एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य, (2006) 8 एससीसी 1 में दिए गए निर्देशों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए अवमानना याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई कर रही थी।
उक्त मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को पुलिस शिकायत प्राधिकरण (PAC) स्थापित करने का निर्देश दिया, जिसमें कुछ स्वतंत्र सदस्य उचित कानून बनने तक प्राधिकरण के कामकाज की देखरेख करेंगे।
हालांकि, इन सुझावों को या तो राज्य सरकारों द्वारा लागू नहीं किया गया या इनसे संबंधित राज्य विधान सुप्रीम कोर्ट में चुनौती के अधीन हैं।
इसी क्रम में झारखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी और अखिल भारतीय आदिवासी विकास समिति झारखंड द्वारा भी अवमानना याचिका दायर की गई।
DGP की नियुक्ति या तो पक्षपातपूर्ण है या 'तदर्थ' कार्य-निष्पादन पर आधारित: याचिकाकर्ताओं ने चिंता जताई
सुनवाई के दौरान, मरांडी की ओर से सीनियर एडवोकेट अंजना प्रकाश ने दलील दी कि झारखंड राज्य DGP की नियुक्ति में पक्षपातपूर्ण रहा है।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा:
"एक ही पसंदीदा व्यक्ति को बार-बार नियुक्त किया जा रहा है, जबकि चुनाव आयोग ने कथित तौर पर कुछ आशंकाओं के कारण इस व्यक्ति को हटा दिया था।"
याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने यह भी कहा कि प्रकाश सिंह के निर्देशों का उल्लंघन अब तक झारखंड सहित 8 राज्यों में हुआ। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि न्यायालय ने पहले भी एडहॉक DGP रखने के विचार पर आपत्ति जताई।
उन्होंने कहा,
"एक्टिंग DGP नियुक्त होते ही क्या होता है, यह आपके चरित्र को दांव पर लगाने जैसा है - जब तक आप एक अच्छे इंसान हैं, मैं (राज्य) यह सुनिश्चित करूंगा कि आप स्थायी हो जाएं - न्यायालय ने इस पर आपत्ति जताई।"
नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव की आवश्यकता है, यह CBI डायरेक्टर के चयन के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के समान होनी चाहिए: प्रकाश सिंह द्वारा दायर आवेदन
मूल याचिकाकर्ता प्रकाश सिंह की ओर से पेश हुए एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि प्रकाश सिंह मामले में दिए गए निर्देशों के अनुसार, पहले की प्रक्रिया यह थी कि UPSC पैनल DGP पद के लिए तीन नाम सुझाता है और फिर राज्य सरकार उनमें से एक का चयन करती है।
उन्होंने आगे कहा कि अब राज्य सरकारें UPSC को पैनल की सिफ़ारिश के लिए कोई सूचना नहीं भेजेंगी। इसके बजाय तदर्थ डीजीपी नियुक्त करेंगी। भूषण ने दलील दी कि सिंह की ओर से अब एक आवेदन दायर किया गया, जिसमें राज्य सरकारों को केंद्र में CBI डायरेक्टर के चयन के समान चयन प्रक्रिया अपनाने के निर्देश देने की मांग की गई।
उन्होंने बताया कि जिस तरह CBI डायरेक्टर की नियुक्ति प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) की समिति द्वारा की जाती है, उसी तरह राज्य स्तर पर DGP की नियुक्ति के लिए भी यही प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। यहां यह प्रस्ताव है कि तीन सदस्यीय समिति में राज्य के मुख्यमंत्री, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता और हाईकोर्ट चीफ जस्टिस शामिल हों।
केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस बात पर सहमति जताई कि कई राज्य निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने बेंच को सूचित किया कि वह अगली सुनवाई तक इस पहलू पर निर्देश प्राप्त करेंगे।
नई अवमानना याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए बेंच ने मामले को 18 अगस्त के लिए सूचीबद्ध किया।
Case Details : PRAKASH SINGH AND ORS. Versus UNION OF INDIA W.P.(C) No. 310/1996 and connected matters.