प्रो शामनाद बशीर और जस्टिस रविंद्र भट आईपी 2019 में 50 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में शामिल

Update: 2019-12-17 11:56 GMT

आईपी 2019 की सर्वा‌ध‌िक प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची में दो भारतीयों स्वर्गीय प्रो (डॉ) शामनाद बशीर और जस्टिस एस रविंद्र भट ने जगह बनाई है।

प्रो बशीर भारतीय कानून के विद्वान और ब्लॉग 'स्पाइसीआईपी' के संस्थापक थे। वह IDIA ट्रस्ट के भी संस्थापक थे, जो गरीब छात्रों के लिए कानूनी शिक्षा सुलभ बनाने पर काम करता है। उन्हें अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्वों में से एक माना जाता है। यह दूसरी बार है कि जब उन्हें वार्षिक सूची में शामिल किया गया है, पहली बार उन्हें 2015 में शामिल किया गया था।

उनकी प्रविष्टि इस प्रकार है:

"स्वर्गीय शामनाद बशीर के कामों को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। विद्वान और लेखक आईपी सर्किट में प्रसिद्घ थे और उन्होंने जॉर्ज वाशिंगटन युनिवर्सिटी, डीसी और कोलकाता नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ जुरिडिकल साइंसेज सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया था। इसी वर्ष हुआ उनका निधन हमें आईपी में उनके सबसे महत्वपूर्ण योगदान - नोवार्टिस बनाम यूनियन ऑफ ‌इं‌डिया व अन्य 2013 के लैंडमार्क पेटेंट मामले में उनके हस्तक्षेप की याद दिलाता है।"

स्विस फार्मा कंपनी ने कैंसर उपचार की दवा ग्लीवेक (imatinib) को पेटेंट कराने का प्रयास किया था, जिसे सामान्य दवा निर्माता कम कीमत पर बेच रहे थे। बशीर ने नोवार्टिस की को‌‌श‌िशों के खिलाफ दलीलें दी थी, जिसके लिए उनकी काफी तारीफ भी हुई थी। कानूनी खबरों की भारतीय वेबसाइट लीगली इंडिया के मुताबिक, पहली बार था, जब भारत में किसी मामले में एक एकेडमिक ने हस्तक्षेप किया था। वो न केवल बुद्धिमान थे, बल्कि दयालु और ध्यान रखने वाले व्यक्ति भी थे. बशीर स्पाइसीआईपी ब्लॉग के संस्थापक भी थे, जो भारत में आईपी कानून के विकास को कवर कवर करता है."

आईपी 2019 की सूची मैनेजिंग आईपी (एमआईपी) द्वारा जारी की जाती है, जिसे 5 श्रेणियों में विभाजित किया जाता है, जिसमें इंडस्ट्री के नेता, आईपी अथॉरटीज, उल्लेखनीय व्यक्ति, पब्लिक ऑफिसियल्स और जज शामिल हैं।

भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस रवींद्र भट को अपने "प्रभावशाली" निर्णयों के माध्यम से, विशेष रूप से दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान, भारतीय आईपी न्यायशास्त्र में "असाधारण योगदान" देने के लिए सूची में शामिल ‌किया गया; यह दूसरी बार है जब उन्हें इस सूची में शामिल किया गया है, पहली बार उन्हें 2010 में शामिल कियग गया था।

उनकी प्रवि‌ष्टि में उनके द्वारा दिए गए दो महत्वपूर्ण निर्णयों की प्रशंसा की गई थी. पहला फैसला एफ हॉफमैन-ला रोश लिमिटेड एंड एएनआर बनाम सिप्ला लिमिटेड, 148 (2008) डीएलटी 598, का था, जिसमें रोशे की सिप्ला को फेफड़ों के कैंसर की दवा के विपणन से रोकने की दलील को जनहित के आधार पर खारिज कर दिया गया था।

दूसरा फैसला Nuziveedu Seeds Ltd. & Ors. v. Monsanto Technology Llc & Ors (2018) का था, जिसमें मोनसेंटो टेक्नोलॉजी की याचिका, जिसमें आरोप लगाया गया कि Nuziveedu सीड्स लाइसेंस समाप्त होने के बाद भी उनकी पेटेंट तकनीक का उपयोग करके बीटी कॉटन के बीज बेच रहे थे, को रद्द कर दिया था.

अन्य भारतीय जिन्होंने इस वार्षिक सूची के पिछले संस्करणों में जगह बनाई थी, उनमें बॉम्बे हाई कोर्ट (2015) के जस्टिस गौतम पटेल, जस्टिस प्रभा श्रीदेवन (पूर्व आईपीएबी अध्यक्ष और मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश) (2012, 2013 और 2015), पीएच कुरियन (2009 और 2010) और चैतन्य प्रसाद (2014) (पूर्व कंट्रोलर जनरल), निर्मला सीतारमण (वर्तमान में वित्त मंत्री), जावेद अख्तर (2011), जे मित्रा एंड कंपनी के ललित महाजन (2011) और स्पाइसीआईपी (2011 और 2014) शामिल है।

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