PM और शाह के खिलाफ ECI द्वारा कार्रवाई ना करने को लेकर कांग्रेस MP की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करेगा SC

Update: 2019-04-29 09:47 GMT

सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को कांग्रेस सांसद और पार्टी महिला विंग की अध्यक्ष सुष्मिता देव की उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के चुनावी भाषणों में आचार संहिता का उल्लंघन करने पर चुनाव आयोग द्वारा कोई कार्रवाई ना करने का आरोप लगाया गया है।

चुनाव अभियान में किया जा रहा सशस्त्र बलों को शामिल
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के समक्ष इस याचिका का उल्लेख किया गया। देव ने यह शिकायत की है कि चुनाव आयोग के स्पष्ट प्रतिबंध के बावजूद हेट स्पीच और चुनावी अभियान में मोदी और शाह द्वारा सशस्त्र बलों को शामिल कर चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन पर कांग्रेस द्वारा पुष्ट सबूत उपलब्ध कराए गए हैं।

CJI ने पूछा, "उल्लंघन का आरोप किसपर१"
सोमवार को जब कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने इस मामले का उल्लेख किया तो मुख्य न्यायाधीश ने पूछताछ की कि उल्लंघन किसके द्वारा किए जाने का आरोप है। जब सिंघवी ने पीएम और पार्टी प्रमुख के नामों का हवाला दिया तो मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने शुरू में टिप्पणी की, "अब स्पष्ट है .. आपको आखिरी में सुना जाएगा।"

याचिकाकर्ता के क्या हैं आरोप१
याचिकाकर्ता ने कहा है कि चुनाव आयोग को इस संबंध में स्पष्ट सबूत दिए गए हैं कि किस तरह लोकसभा चुनाव में आचार संहिता का उल्लंघन किया जा रहा है, लेकिन चुनाव आयोग इस संबंध में कोई भी निर्णय लेने में पूरी तरह निष्क्रिय है। आरोप है कि उत्तरदाता/ECI संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का पूर्ण और प्रत्यक्ष उल्लंघन कर रहा है और जिससे स्वतंत्र और निष्पक्ष आम चुनाव, 2019 बाधित हो रहे हैं।

याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि 10 मार्च 2019 से यानी आम चुनाव 2019 की तारीख की अधिसूचना जारी होने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों और राज्यों में जनप्रतिनिधि अधिनियम, चुनाव के नियमों और इस प्रक्रिया के प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे हैं। इसके अलावा याचिका में बताया गया है कि 23 अप्रैल, 2019 को गुजरात में मतदान के दिन आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के तौर पर प्रधानमंत्री ने एक रैली आयोजित की गयी थी।

पीएम के बयान पर आपत्ति
याचिका में पीएम मोदी के कुछ बयानों पर आपत्ति जताई गई है, जिसमें 1 अप्रैल को वर्धा में उनके द्वारा हिंदी में की गई ये टिप्पणी भी शामिल है, "दुनिया के सामने हिंदुओं का अपमान करने के लिए कांग्रेस को कैसे माफ किया जा सकता है? 'हिंदू आतंक' शब्द सुनकर क्या आपको दुख नहीं हुआ? शांति के लिए किसी समुदाय को कैसे जाना जा सकता है? भाईचारे और सौहार्द को आतंकवाद के साथ जोड़ा जाना चाहिए? इतिहास के हजार वर्षों में एक भी घटना हिंदू आतंकवाद का कोई भी कार्य नहीं दिखाती। यहां तक ​​कि ब्रिटिश इतिहासकार भी इसे कभी नहीं तलाश सके।"

याचिका के अनुसार अमित शाह की विवादित टिप्पणी 
याचिका में शाह के बयान का हवाला देते हुए कहा गया, "राहुल ने पूरी दुनिया में हिंदू धर्म को बदनाम किया। यहां तक ​​कि अदालत ने भी कहा है कि हिंदू आतंक जैसा कुछ नहीं है" और "राहुल को हिंदू धर्म को आतंक से जोड़कर बदनाम करने के लिए माफी मांगनी चाहिए।"

याचिकाकर्ता ने कहा है कि चुनाव आयोग ने बीएसपी अध्यक्ष मायावती और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ इसी तरह के उल्लंघन के लिए कड़ी कार्रवाई की थी। याचिका में यह अनुरोध किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट इन शिकायतों पर 24 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को फैसला लेने के निर्देश जारी करे।


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