किसान प्रदर्शन : किसानों की सुरक्षा व संरक्षण और प्रदर्शन के दौरान सिख युवक की मौत के मामले की जांच की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका

Update: 2021-02-03 04:45 GMT

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर कर मांग की गई है कि अधिकारियों को निर्देश दिया जाए कि वह विभिन्न बाॅर्डर यानी सिंघू,गाजीपुर और टिकरी पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की सुरक्षा व संरक्षण को सुनिश्चित करें और उनको पानी व बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं उपलब्ध कराएं।

याचिकाकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन के दौरान उत्तराखंड के जिला उधम सिंह नगर के बाजपुर निवासी नवनीत सिंह की मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटना की भी स्वतंत्र जांच की मांग की है,जिसे कथित तौर पर बंदूक की गोली लगी थी,लेकिन उसकी पीएमआर में मौत का कारण ''सिर में आई चोट के परिणामस्वरूप सदमे और रक्तस्राव'' को बताया गया है और बाद में पता चला है कि उक्त घटना का चश्मदीद गवाह भी मर गया है।

अधिवक्ता सनप्रीत सिंह अजमानी और पुष्पिंदर सिंह द्वारा दायर याचिका में लोहे की कीलें और सीमेंटेड बैरिकेड्स को भी हटाने की मांग की गई है, जो अवैध रूप से लगाए गए हैं ताकि विभिन्न बाॅर्डर पर बने प्रदर्शन के स्थानों पर किसानों के प्रवेश व निकास पर रोक लगाई जा सके। इस याचिका में विभिन्न्न बाॅर्डर यानि सिंघू, गाजीपुर, टीकरी पर निर्बाध इंटरनेट की सेवा उपलब्ध कराने के लिए भी अदालत से निर्देश देने की मांग की गई है। गौरतलब है कि इन बाॅर्डर पर किसान तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

याचिकाकर्ताओं के अनुसार, उन्होंने अपने साथी नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए याचिका दायर की है, क्योंकि भारत सरकार गरीब किसानों की आवाज को दबाने के लिए एक अवैध डिजाइन द्वारा इनका उल्लंघन कर रही है। जबकि यह सभी किसान शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि वह सोशल नेटवर्किंग साइटों (जैसे ट्विटर, यूट्यूब, फेसबुक, व्हाट्सएप्,इंस्टाग्राम आदि) व कुछ न्यूज चैनलों (जैसे आजतक, रिपब्लिक भारत, एबीपी न्यूज आदि) द्वारा प्रचारित और नफरत फैलाने वाली खबरों से व्यथित हैं। जो कुछ तत्वों के कथित गलत कामों और पापपूर्ण कार्यों के लिए पूरे सिख समुदाय के खिलाफ नफरत फैला रहे हैं। इसलिए उन्होंने आग्रह किया है कि पूरे मीडिया को पूरे सिख समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने वाली खबरें फैलाने से प्रतिबंधित किया जाए और सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए बिना शर्त माफी मांगने के लिए कहा जाए क्योंकि सिखों को आतंकवादी करार दिया गया है और उनके 'निशाण साहिब' को 'खालिस्तानी झंडा'' बताया गया है।

दलील में अदालत से न्यायिक जांच का गठन करने, लापता किसानों और गरीब किसानों/प्रदर्शनकारियों पर किए गए अत्याचार पर रिपोर्ट मांगने का आग्रह किया गया है। एक युवा लड़के नवनीत सिंह की मौत के मामले की जांच करवाने का भी अनुरोध किया गया है, जिसे कथित तौर पर गोली लगी थी लेकिन उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह सिर की चोट दिखाई गई थी।

प्रार्थनाएँ

- उन किसानों की सुरक्षा और संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया जाए, जो न्याय के हित में अर्थात् सिंघू, गाजीपुर, टीकरी की सीमाओं पर विरोध कर रहे हैं।

-न्याय के हित में अधिकारियों को निर्देश दिया जाए कि सभी बाॅर्डर प्वाइंट पर अर्थात् सिंघू, गाजीपुर, टीकरी की सीमाओं पर पानी और बिजली आदि जैसी बुनियादी सुविधाओं की आपूर्ति को न रोका जाए।

-लोहे की कीलें और सीमेंटेड बैरिकेड्स आदि हटाने के लिए अधिकारियों को निर्देशित करें जो विरोध के स्थान यानी टिकरी बॉर्डर और अन्य बाॅर्डर पर विरोध प्रदर्शन के स्थान के प्रवेश व निकास को रोकने के लिए अवैध रूप से लगाए गए हैं।

-अधिकारियों/सरकारों को सभी सीमा के बिंदुओं पर एक निर्बाध इंटरनेट सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित करें अर्थात् सिंघू, गाजीपुर, टीकरी, जहां किसान कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वही 31.01.2021 को जारी आदेश नंबर 22016/12/2019-CIS-IV को रद्द किया जाए क्योंकि यह आदेश भारत के संविधान की शक्ति से बाहर का है और 'अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ' के मामले में इस माननीय न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून के विरुद्ध है।

- पूरे मीडिया को निर्देश दिया जाए कि वह सिख समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने वाली खबरें न चलाए और सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए बिना शर्त माफी मांगे क्योंकि उन्होंने सिखों को आतंकवादी करार दिया है और उनके 'निशाण साहिब' को 'खालिस्तानी झंडा'' बताया है।

-लापता किसान और गरीब किसानों/ प्रदर्शनकारियों पर किए गए अत्याचार पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक न्यायिक जांच का गठन किया जाए।

-विरोध प्रदर्शन के दौरान उत्तराखंड,जिला ऊधम सिंह नगर के बाजपुर निवासी नवनीत सिंह की मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटना की जांच माननीय न्यायालय एक ऐसी एजेंसी से करवाए,जिसे न्यायालय उचित मानता हो। जिसे कथित तौर पर बंदूक की गोली लगी थी,लेकिन उसकी पीएमआर में मौत का कारण ''सिर में आई चोट के परिणामस्वरूप सदमे और रक्तस्राव'' को बताया गया है और बाद में पता चला है कि उक्त घटना का चश्मदीद गवाह भी मर गया है।

-'अर्नेश कुमार' मामले में निर्धारित कानून का अच्छी तरह से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए पुलिस अधिकारियों और निचली अदालतों को निर्देशित करें।

याचिकाकर्ता एडवोकेट सनप्रीत सिंह अजमानी और पुष्पिंदर सिंह की ओर से अधिवक्ता मंजू जेटली ने यह याचिका दायर की है।

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