नकली कोरोना वैक्सीन की बिक्री को रोकने के लिए केंद्र को दिशा-निर्देश देने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका
COVID-19 की नकली दवाई और नकली टीका की बिक्री को रोकने के लिए केंद्र सरकार को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत सख्त दिशा-निर्देश देने की मांग करचे गुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है।
याचिका में संगठनों, कंपनियों या ऑनलाइन एप्स द्वारा इस तरह की बिक्री और विज्ञापन को रोकने के लिए एक विशेष समिति के गठन की मांग की गई है। साथ ही केंद्र को निर्देश देने की भी माँग की गई वह नकली टीकाकरण के खतरे के खिलाफ नागरिकों को शिक्षित करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए।
एडवोकेट विशाल तिवारी द्वारा दायर की गई इस याचिका में 2 दिसंबर, 2020 को इंटरपोल द्वारा जारी किए गए ऑरेंज नोटिस का उल्लेख किया गया है, जिसमें विभिन्न वेबसाइटों के माध्यम से भारत सहित सभी 194 सदस्य देशों को नकली कोरोना वैक्सीन को बनाने और उसके सप्लाई के बारे में चेतावनी दी गई है।
यह कहा गया है कि यह वैश्विक चेतावनी इसलिए जारी की गई है ताकि कानून प्रवर्तन एजेंसियां खुद को "COVID-19 वैक्सीन से जुड़ी सभी प्रकार की आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए खुद को तैयार कर सकें" क्योंकि ये नेटवर्क आम जनता को लिए नकली इलाज के संबंध में अपना निशाना बना रहे हैं, जो उनके जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा कर सकते हैं।
याचिका में कहा गया है,
"केंद्र और राज्यों की हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को ऐसी स्थिति से निपटने के लिए तुरंत और प्रभावी रूप से तैयार करना होगा। साथ ही कानून के तहत किसी भी आपराधिक संगठन को रोकने और उसके प्रचार को रोकने के लिए एक अलग कानून की आवश्यकता है। यह मुद्दा सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के साथ नागरिकों के जीवन से जुड़ा है।
यह देखते हुए कि आपराधिक गतिविधि फिजिकल और साथ ही ऑनलाइन माध्यम से की जा सकती है। आम जनता के भय और अनिश्चितता की स्थिति के कारण आसानी से इसकी ओर आकर्षित होने की संभावना होगी, जो महामारी द्वारा बनाई गई है, उस पर अंकुश लगाने के लिए तत्काल और सख्त दिशा निर्देश दिए जाएं।
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