बाध्यकारी निर्णय को चुनौती देने के लिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका सुनवाई योग्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अदालत द्वारा पारित बाध्यकारी फैसले को चुनौती देने के लिए अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ की संविधान पीठ ने उस फैसले में भूमि अधिग्रहण पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार की धारा 24(2) की व्याख्या की।
याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत इस प्रकार थी,
"उचित रिट, आदेश, निर्देश/दिशा-निर्देश जारी करें, जिसमें परमादेश की रिट भी शामिल है और प्रतिवादी को आदेश देने के लिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 की धारा 24 (2) की फिर से व्याख्या करें और 6 मार्च 2020 को एसएलपी (सी) 9036- 9038 ऑफ 2016 आदि पारित उस निर्णय की घोषणा करें। इंदौर विकास प्राधिकरण बनाम मनोहरलाल और अन्य (2020) 8 एससीसी 129 में रिपोर्ट किया गया और उसमें पारित फैसले अब अच्छे कानून नहीं हैं।
याचिका खारिज करते हुए बेंच, जिसमें जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला भी शामिल हैं, ने कहा,
"इस न्यायालय के बाध्यकारी फैसले को चुनौती देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका बरकरार नहीं रखा जा सकती। इसलिए हम याचिका पर विचार करने से इनकार करते हैं। तदनुसार, याचिका खारिज की जाती है।"