पुलिस हिरासत में अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
Atique Ahmad Murder Case- 15 अप्रैल की रात को पुलिस हिरासत के दौरान अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या कर दी गई। इस हत्या को तब अंजाम दिया जब मीडिया अतीक और अशरफ से सवाल कर रही थी। मौके पर तीनों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए। पुलिस तीनों से पूछताछ कर रही है। यूपी के प्रयागराज जिले की एक अदालत ने रविवार को तीनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। आरोपियों की पहचान लवलेश तिवारी, सनी सिंह और अरुण मौर्य के रूप में की गई है।
ये मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। अतीक और अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या की जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच की मांग की गई है। साथ ही 2017 से उत्तर प्रदेश में अब तक हुए 183 एनकाउंटर की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में एक्सपर्ट कमेटी से कराने की मांग की गई है।
ये याचिका एडवोकेट विशाल तिवारी ने दायर की है। याचिका में अतीक और उसके भाई की हत्या की जांच के लिए एक समिति का गठन करने की मांग की गई है। साथ ही याचिका में 2020 विकास दूबे एनकाउंटर केस की सीबीआई से जांच की मांग की गई है।
याचिका में ये भी कहा गया है कि अतीक और अशरफ की हत्या के दो पहलू हो सकते हैं, या तो हत्याएं किसी दूसरे गैंगस्टर ने करवाई हैं या फिर सिस्टम से जुडी साजिश के तहत किया गया है।
आगे कहा गया कि लोकतंत्र में राज्य को एक कल्याणकारी राज्य होना चाहिए न कि एक पुलिस राज्य। पुलिस का काम अपराध का पता लगाना और उसकी जांच करना है। सजा देना कोर्ट का काम है।“
पिछले महीने अतीक अहमद ने याचिका दायर कर अपनी जान को खतरा बताया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा की मांग वाली याचिका को सुनने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। फिर भी वो चाहें तो हाईकोर्ट जा सकता है।
लेकिन यूपी पुलिस नाकाम साबित हुई। अतीक की सुरक्षा नहीं कर सकी। अतीक मारा गया।
पुलिस के सामने हुई इस हत्या के बाद अब पुलिस और यूपी सरकार पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। उठ रहे सवालों के बीच यूपी सरकार ने एक तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया है जो इस घटना की जांच करेगी। इसकी अध्यक्षता रिटायर्ड जज जस्टिस अरविन्द कुमार त्रिपाठी करेंगे। साथ ही इसमें रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक सुबेश कुमार सिंह और रिटायर्ड जनपद जज बृजेश कुमार सोनी शामिल हैं। आयोग को मामले की जांच रिपोर्ट दो महीने के भीतर सरकार को सौंपनी होगी। राज्य के गृह विभाग ने जांच आयोग अधिनियम, 1952 के तहत आयोग का गठन किया है।