हाईकोर्ट के कर्मचारियों की वेतन वृद्धि मामला: सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा हाईकोर्ट से राज्य के खिलाफ अवमानना कार्यवाही को स्थगित करने का अनुरोध किया
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को त्रिपुरा राज्य सरकार द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी किया। इस याचिका में त्रिपुरा हाईकोर्ट द्वारा पारित अंतरिम आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें राज्य सरकार को हाईकोर्ट के कर्मचारियों के छठा केंद्रीय वेतन आयोग 1 जनवरी, 2006 से प्रभावी वेतन में वृद्धि करने का निर्देश दिया गया था।
हाईकोर्ट ने दिसंबर, 2021 में पारित आदेश में राज्य को जनवरी, 2022 से शुरू होने वाली तीन मासिक किश्तों में वेतन बकाया का भुगतान करने का भी निर्देश दिया। बाद में हाईकोर्ट ने निर्देशों को लागू नहीं करने के लिए राज्य सरकार के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की।
त्रिपुरा राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले सीनियर एडवोकेट रंजीत कुमार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट ने सरकार ने मुख्य सचिव को अवमानना की कार्यवाही के लिए 25 जुलाई को पेश होने के लिए कहा है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने राज्य के एसएलपी पर तीन सप्ताह के भीतर नोटिस पर जवाब देने के लिए कहते हुए हाईकोर्ट से इस बीच अवमानना की कार्यवाही को स्थगित करने का अनुरोध किया।
हाईकोर्ट कर्मचारी संघ द्वारा दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने उक्त निर्देश पारित किया। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने कहा कि छठे केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ अधीनस्थ न्यायपालिका के कर्मचारियों को दिया जाता है। इसलिए, समान कार्य के लिए समान वेतन के सिद्धांत को लागू करते हुए एकल पीठ ने राज्य को हाईकोर्ट के कर्मचारियों को भी समान लाभ देने का निर्देश दिया।
राज्य ने एकल पीठ के फैसले के खिलाफ खंडपीठ के समक्ष रिट अपील दायर की।
चीफ जस्टिस इंद्रजीत महंती और जस्टिस एसजी चट्टोपाध्याय की खंडपीठ ने 21 दिसंबर, 2021 को अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें राज्य को एकल पीठ के निर्देशों को लागू करने का निर्देश दिया गया, बशर्ते कि कर्मचारियों को उनके मामले में निर्देशों के अनुसार प्राप्त भुगतान वापस करना चाहिए।
सीनियर एडवोकेट रंजीत कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि हाईकोर्ट के निर्देश एचसी कर्मचारियों को नियंत्रित करने वाले सेवा नियमों के विपरीत हैं। उन्होंने हाईकोर्ट त्रिपुरा सेवा (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और आचरण) नियम, 2014 के नियम 16 का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि हाईकोर्ट के कर्मचारियों का वेतनमान राज्य सरकार के कर्मचारियों के बराबर होगा। राज्य सरकार के कर्मचारियों को अभी तक छठी सीपीसी रिपोर्ट का लाभ नहीं दिया गया है। इसलिए, एचसी कर्मचारी इसका दावा नहीं कर सकते।
कुमार ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट के निर्देश राज्य के बजट पर भारी बोझ हो जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि छठी सीपीसी की सिफारिशों के अधीनस्थ न्यायपालिका के अधिकार के संबंध में मामला त्रिपुरा राज्य बनाम तरुण कुमार सिंह सीए 9198-9199/2018 का विषय है, जो सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
केस टाइटल: त्रिपुरा राज्य बनाम उच्च न्यायालय कर्मचारी संघ, एसएलपी (सी) 8768/2022