सुप्रीम कोर्ट ने सोशल और ई-स्पोर्ट्स के नाम पर चल रहे ऑनलाइन जुए पर प्रतिबंध की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन जुए और सट्टेबाज़ी प्लेटफॉर्म्स पर देशव्यापी प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली एक एनजीओ द्वारा दायर याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया है कि ये प्लेटफॉर्म्स “सोशल” और “ई-स्पोर्ट्स गेम्स” के नाम पर गैरकानूनी रूप से जुआ और सट्टा संचालन कर रहे हैं।
कोर्ट ने आदेश में कहा,“याचिकाकर्ता के अनुसार, वर्तमान में लगभग दो हजार ऐप्स ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी से संबंधित हैं। याचिकाकर्ता चाहता है कि सरकार युवाओं के हित में तुरंत कार्रवाई करे। नोटिस जारी किया जाता है। याचिका पर उचित जवाब दाखिल किया जाए।”
यह आदेश जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की खंडपीठ ने दिया, और याचिका को “प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग एक्ट, 2025” (Online Gaming Act) को चुनौती देने वाली लंबित याचिकाओं के साथ टैग करने का निर्देश दिया।
एनजीओ ने यह रिट याचिका दाखिल कर केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की है कि ऑनलाइन गेमिंग अधिनियम, 2025 और राज्य कानूनों की व्याख्या इस प्रकार की जाए कि ऑनलाइन जुए और सट्टेबाज़ी करने वाले सोशल और ई-स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म्स पर रोक लगाई जा सके।
याचिका में यह भी मांग की गई है कि केंद्र सरकार सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69A के तहत सभी गैरकानूनी ऑनलाइन जुआ-सट्टा वेबसाइटों और ऐप्स को ब्लॉक करने के आदेश जारी करे।
साथ ही, याचिकाकर्ता ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), NPCI, और अन्य UPI प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करने के निर्देश देने की मांग की है कि वे ऐसे ऑनलाइन मनी गेम्स से संबंधित लेनदेन की अनुमति न दें जो भारत में पंजीकृत नहीं हैं।
इसके अलावा, याचिका में यह भी मांग की गई है कि —
• पूरे देश में तमिलनाडु निषेध ऑनलाइन गेमिंग अधिनियम, 2022 जैसे कड़े प्रावधान लागू किए जाएं;
• महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज़्ड क्राइम एक्ट, 1999 (MCOCA) का उपयोग ऑनलाइन जुए और सट्टेबाज़ी पर नियंत्रण के लिए किया जाए;
• गूगल और एप्पल को आईटी (इंटरमीडियरी) नियम, 2021 का सख्ती से पालन करने और केवल लाइसेंस प्राप्त गेमिंग ऐप्स को प्लेटफॉर्म पर अनुमति देने का निर्देश दिया जाए;
• ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों के माध्यम से ऑफशोर गेमिंग कंपनियों से जीएसटी और इनकम टैक्स की वसूली की जाए, और
• ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों द्वारा बच्चों के डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
केंद्र सरकार की ओर से एडवोकेट वी.सी. भारती ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई अधिकांश राहतें पहले ही नए ऑनलाइन गेमिंग कानून में शामिल हैं, जो अभी लागू नहीं हुआ है।
इस पर कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए मामले को ऑनलाइन गेमिंग अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं के साथ जोड़ा।
उल्लेखनीय है कि ऑनलाइन गेमिंग अधिनियम, 2025, जो 21 अगस्त को संसद से पारित हुआ और 22 अगस्त को राष्ट्रपति की मंज़ूरी प्राप्त कर चुका है, को सुप्रीम कोर्ट में इस आधार पर चुनौती दी गई है कि यह कौशल आधारित (skill-based) खेलों पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगाता है, जिससे यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(g) (पेशा और व्यापार की स्वतंत्रता) का उल्लंघन करता है।