नुस्ली वाडिया Vs रतन टाटा : वाडिया ने CJI का सुझाव माना, रतन टाटा के खिलाफ सारे मानहानि केस वापस लिए

Update: 2020-01-13 08:35 GMT

एक अहम कदम में उद्योगपति नुस्ली वाडिया ने रतन टाटा के खिलाफ सारे मानहानि केसों को वापस ले लिया। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में उनकी ओर से कहा गया कि चूंकि रतन टाटा ने कोर्ट में बयान दिया है कि उनकी मंशा वाडिया की मानहानि की नहीं थी।

मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की पीठ ने इसके बाद मामले का निस्तारण कर दिया और केस से जुड़े वकीलों की सराहना की।

पिछले सोमवार को हुई सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने इस मामले में दोनों उद्योगपतियों से सुलह करने का सुझाव दिया था। पीठ ने कहा था कि दोनों उद्योगजगत में नेता हैं, आप बात क्यों नहीं करते हैं और इस मुद्दे को हल क्यों नहीं करते हैं। इस दिन और उम्र में आप को इस तरह मुकदमेबाजी करने की

क्या जरूरत है ? हम एक प्रतिष्ठित मध्यस्थ से मुद्दे को हल करने के लिए कह सकते हैं।दोनों पक्षों को बात करनी चाहिए और हल करना चाहिए। वहीं वाडिया की ओर से कोर्ट में कहा गया था कि वो टाटा ग्रुप के बोर्ड से निकाले जाने के खिलाफ नहीं हैं। टाटा ग्रुप के खिलाफ नहीं, बल्कि टाटा संस बोर्ड के व्यक्तियों के खिलाफ केस दायर कर रहे हैं।

निदेशक मंडल आम तौर पर केवल यही कहता है कि उन्होंने विश्वास खो दिया है। लेकिन यहां निदेशक मंडल ने एक विशेष प्रस्ताव के माध्यम से कहा कि उनमें कमी है। इन अनावश्यक अवलोकन और आरोपों आशंकाएं डालीं और वो विभिन्न बोर्डों में निदेशक हैं।

वाडिया की ओर से कहा गया था कि नया मुकदमे दायर करने के लिए स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। हालांकि वाडिया की ओर से विचार करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा गया था। वहीं टाटा की ओर से कहा गया था कि उनका इरादा मानहानि करने का नहीं था।

यह था मामला

दरअसल अक्टूबर 2016 में सायरस मिस्त्री को टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में बाहर कर दिया गया था। दिसंबर 2016 में बॉम्बे डाइंग चेयरपर्सन नुस्ली वाडिया ने रतन टाटा, एन चंद्रा, अजय पीरामल, वीनू श्रीनिवासन और टाटा संस बोर्ड के अन्य निदेशकों के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था। वाडिया ने आरोप लगाया कि रतन टाटा, एन चंद्रा, अन्य लोगों ने टाटा संस के हितों पर चोट करने के लिए अपमानजनक टिप्पणी की थी।

नुस्ली वाडिया ने 3000 करोड़ रुपये के नुकसान का दावा भी किया था। लेकिन जुलाई 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने टाटा के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही को रद्द कर दिया था। गौरतलब है कि नुस्ली वाडिया को दिसंबर 2016 में टाटा ग्रुप की कंपनियों के बोर्डों से बाहर कर दिया गया था। 

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