NUJS कोलकाता के स्टूडेंट ने सीजेआई को लिखा पत्र, पत्र में प्रोफेसर द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोपों के कारण वीसी को हटाने का किया अनुरोध

Update: 2024-05-27 05:05 GMT

पश्चिम बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिडिकल साइंसेज (WBNUJS) के स्टूडेंट निकाय स्टूडेंट ज्यूरिडिकल एसोसिएशन (SJA) ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर प्रोफेसर द्वारा उनके खिलाफ कार्यस्थल पर लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों पर यूनिवर्सिटी के कुलपति (वीसी) को निलंबित करने की मांग की।

इससे पहले लाइव लॉ ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर रिपोर्ट प्रकाशित की थी। उक्त रिपोर्ट में स्थानीय समिति को प्रोफेसर की शिकायत पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया गया, क्योंकि उसने परिसीमन के आधार पर इसे खारिज कर दिया था।

स्टूडेंट के पत्र में शिक्षिका द्वारा कथित उत्पीड़न की घटना का उल्लेख किया गया। साथ ही कुलपति द्वारा उनके वेतन में देरी, पदोन्नति से इनकार आदि के द्वारा उनके खिलाफ की गई कथित प्रतिशोधात्मक कार्रवाई का भी उल्लेख किया गया है।

पत्र में कहा गया,

"उसे (शिकायतकर्ता) सितंबर 2019 और दिसंबर 2023 के बीच कई मौकों पर कुलपति द्वारा यौन उत्पीड़न और कदाचार का शिकार बनाया गया। कथित तौर पर उसे वेतन में देरी, पदोन्नति के अवसरों से इनकार और उसके प्रतिरोध के कारण उत्पन्न होने वाली पेशेवर धमकियों का सामना करना पड़ा है। हम एसोसिएट प्रोफेसर की शिकायतों के संबंध में की गई झूठी धारणा और अपनी शक्ति की स्थिति का दुरुपयोग करके उचित कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार करने के जानबूझकर किए गए प्रयासों की कड़ी निंदा करते हैं। ये कथित कार्य घोर पितृसत्तात्मक शोषण और अपने कार्यस्थल पर एसोसिएट प्रोफेसर का सम्मान और गरिमा को कमजोर करने का प्रयास हैं।”

पश्चिम बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिडिकल साइंसेज स्टाफ एथिक्स एंड कोड ऑफ कंडक्ट ('एमसीसी') के घोर उल्लंघन पर ध्यान देना आवश्यक है, जहां तक कि कुलपति ने अपने में निहित शक्ति का दुरुपयोग करने का प्रयास किया है। एमसीसी को स्टाफ सदस्य से "हर समय कर्तव्य के प्रति पूर्ण निष्ठा और पूर्ण समर्पण, उच्च नैतिक मानकों और ईमानदारी बनाए रखने" की आवश्यकता होती है। यह स्पष्ट है कि अपने खिलाफ शिकायत रद्द करने के लिए स्थापित प्रक्रियाओं को दरकिनार करने, अपने खिलाफ आरोपों को संबोधित करने वाली समिति की बैठक से हटने से इनकार करने और ईसी की मंजूरी के बिना नियुक्तियां करने में कुलपति की हरकतें एमसीसी का घोर उल्लंघन है, जिसे कायम नहीं रखा जा सकता।"

स्टूडेंट्स ने यौन उत्पीड़न की रोकथाम, निषेध और निवारण पर एनयूजेएस नीति, 2016 (नीति या एनयूजेएस नीति) का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया कि नीति के उद्देश्यों के लिए यौन उत्पीड़न में अवांछित यौन प्रगति या यौन संबंध के लिए अनुरोध शामिल हो सकते हैं। साथ ही "यौन प्रकृति का कोई भी शारीरिक, मौखिक, गैर-मौखिक आचरण, जब इसके लिए सहमति व्यक्ति के रोजगार, या यूनिवर्सिटी की गतिविधियों में शामिल होने या पेशेवर या शैक्षणिक प्रगति में हस्तक्षेप करने या निर्माण करने के खिलाफ होती है।”

शिकायतकर्ता के दावों को मनमाने ढंग से खारिज करना न केवल उन सिद्धांतों को धूमिल करता है, जिनका एनयूजेएस ने ऐतिहासिक रूप से समर्थन किया, बल्कि स्टूडेंट, विशेष रूप से उत्पीड़न के शिकार-बचे लोगों के लिए असुरक्षित संस्थागत माहौल और विश्वास की कमी भी पैदा करता है। ऐसा कहा गया कि PoSH Act की धारा 19 नियोक्ताओं को सुरक्षित कार्यस्थल वातावरण प्रदान करने के लिए बाध्य करती है।

पत्र में यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा कथित शत्रुता और उदासीनता का भी जिक्र किया गया और शिकायतकर्ता के खिलाफ कुलपति द्वारा बार-बार की गई जवाबी कार्रवाई की छात्र संगठन ने स्पष्ट रूप से निंदा की। यह अन्य संकाय और गैर-संकाय कर्मचारियों के कथित कार्यों की भी निंदा करता है, जिन्होंने कथित तौर पर एसोसिएट प्रोफेसर पर कलंकपूर्ण, प्रतिशोधात्मक और दंडात्मक कार्रवाई की है।

उपरोक्त के आलोक में स्टूडेंट्स ने सीजेआई चंद्रचूड़ के समक्ष निम्नलिखित पांच मांगें रखीं:

1. यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं कि शिकायतकर्ता/एसोसिएट प्रोफेसर को संकाय/गैर-संकाय कर्मचारियों द्वारा आगे किसी उत्पीड़न या शत्रुता का सामना न करना पड़े और यौन उत्पीड़न और धमकी के आरोपों के संबंध में कुलपति के खिलाफ गहन, निष्पक्ष जांच की जाए।

2. कुलपति को उनके कार्यालय से तत्काल निलंबित किया जाए और उन्हें बरी होने तक यूनिवर्सिटी के कुलपति के रूप में कोई भी कर्तव्य या जिम्मेदारी निभाने से रोका जाए।

3. (शिकायतकर्ता) की शिकायतों को सुनने के लिए बुलाई गई ईसी बैठकों को प्रभावित करने के लिए कुलपति द्वारा किए गए किसी भी कथित प्रयास को यूनिवर्सिटी द्वारा उन्हें प्रदान की गई शक्ति और अधिकार का दुरुपयोग माना जाएगा। ऐसी बैठकों से खुद को अलग करने से उनका कथित इनकार प्राकृतिक न्याय के बुनियादी सिद्धांत का उल्लंघन करता है। वीसी को उनके खिलाफ शुरू की गई किसी भी कार्यवाही को प्रभावित करने से रोका जाए। वह उसी विषय पर चर्चा के लिए बुलाई गई किसी भी आगामी ईसी बैठक से खुद को अलग कर लें।

4. एसोसिएट प्रोफेसर के खिलाफ कुलपति द्वारा बनाई गई हास्यास्पद एवं प्रतिशोधात्मक तथ्यान्वेषी समिति को बर्खास्त किया जाए। स्टूडेंट फैकल्टी के भीतर कुलपति और उनके करीबी सहयोगियों की कथित कार्रवाइयों की निंदा करते हैं, जिन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन में निहित अधिकार का दुरुपयोग करते हुए पीड़िता को धमकाया और उसे गंभीर पीड़ा पहुंचाई।

5. NUJS जनरल बॉडी में कुलपति के प्रति विश्वास की कमी और चर्चा में आए आरोपों के कारण स्टूडेंट्स की मांग है कि उन्हें कुलपति के पद के लिए कोई विस्तार नहीं दिया जाए।

पत्र में कहा गया,

"हम ध्यान देते हैं कि कुलपति ने कथित तौर पर कुलपति और ईसी के अध्यक्ष के रूप में निहित अधिकार का दुरुपयोग करके अनुचित यौन आचरण के आरोपों के खिलाफ खुद को बचाने का प्रयास किया। ऐसा करने में उन्होंने अपने ऊपर रखे गए विश्वास को धोखा दिया है।“

तदनुसार, स्टूडेंट्स ने कार्यकारी परिषद (ईसी) से मंगलवार, 28 मई 2024 को होने वाली आगामी बैठक में कुलपति को कार्यकाल का विस्तार नहीं देने का आह्वान किया।

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