COVID-Omicron खतरे के कारण सुप्रीम कोर्ट में चार-छह सप्ताह तक फिजिकल सुनवाई की कोई संभावना नहीं: सीजेआई
भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमाना ने गुरुवार को कहा, "कम से कम चार-छह सप्ताह तक हम फिजिकल सुनवाई नहीं कर पाएंगे।"
सीजेआई COVID-19 के ओमिक्रॉन वैरिएंट के चल रहे प्रसार और COVID मामलों की संख्या में अचानक वृद्धि का उल्लेख कर रहे थे। कोरोना के इस वैरिएंट के परिणामस्वरूप सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के वर्चुअल मोड में वापस आ गया।
सीजेआई ने अधीनस्थ न्यायपालिका के न्यायाधीशों की सेवा शर्तों से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
जस्टिस नागेश्वर राव ने भी उल्लेख किया कि भारत के चीफ जस्टिस के साथ बैठक में न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीशों ने उभरते हुए ओमीक्रॉन वैरिएंट और इससे कैसे निपटा जाए, इस पर चर्चा की।
जस्टिस राव ने कहा ,
"हम आने वाले हफ्तों में केवल अत्यावश्यक मामलों की सुनवाई पर विचार कर रहे हैं।"
जस्टिस राव ने यह टिप्पणी तब कि जब एक वकील ने अगले सप्ताह में एक मामले की तत्काल सूची की मांग की।
जस्टिस राव ने वकील से कहा,
"उभरते ओमीक्रॉन वैरिएंट को देखते हुए एसओपी बदलने जा रहा है। हम आने वाले हफ्तों में केवल जरूरी मामलों की सुनवाई पर विचार कर रहे हैं।"
जस्टिस राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्थगन की मांग करने वाले वकीलों को भी सूचित किया कि ओमीक्रॉन संस्करण के कारण "उभरती स्थिति" के आलोक में फरवरी में उपलब्ध एकमात्र तारीख होगी।
पीठ ने वर्चुअल सुनवाई की मांग वाली याचिका को मौलिक अधिकार के रूप में यह कहते हुए स्थगित कर दिया कि यह तभी प्रासंगिक होगी जब फिजिकल सुनवाई फिर से शुरू होगी।
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पहले पांच न्यायाधीशों ने भारत के चीफ जस्टिस से मुलाकात कर COVID-19 के मद्देनजर "सभी को कैसे सुरक्षित रखा जाए" के लिए कदमों पर चर्चा की।
COVID-19 के ओमीक्रॉन वैरिएंट मामलों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इस सप्ताह तीन जनवरी, 2021 से दो सप्ताह के लिए वर्चुअल मोड के माध्यम से सभी सुनवाई करने का निर्णय लिया।
अदालत की वेबसाइट पर जारी आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, संशोधित मानक संचालन प्रक्रिया जिसे पिछले साल सात अक्टूबर को सप्ताह में दो दिन मामलों की फिजिकल सुनवाई के लिए अधिसूचित किया गया था, दो सप्ताह के लिए निलंबित रहेगी।