बार एसोसिएशन के चुनाव उपनियमों और नीतियों के अनुसार ही आयोजित किए जाने पर कोई अंतरिम रोक नहीं : सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया
देश भर में बार एसोसिएशनों को मजबूत बनाने से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आज स्पष्ट किया कि बार एसोसिएशनों द्वारा अपने संविधान/उपनियमों/नीतियों/नियमों के अनुसार ही चुनाव आयोजित करने में कोई बाधा नहीं है।
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने कहा,
"यह स्पष्ट किया जाता है कि बार एसोसिएशनों के चुनाव उनके संबंधित संविधान/उपनियमों/नीतियों/नियमों के अनुसार ही आयोजित किए जाने पर इस न्यायालय द्वारा कोई अंतरिम रोक नहीं लगाई गई।"
प्रश्नगत याचिका में उल्लेख किया गया कि पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के चुनाव एक वर्ष का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान मामले के लंबित होने के आधार पर नहीं कराए जा रहे हैं।
इस पृष्ठभूमि में न्यायालय ने स्पष्टीकरण जारी किया।
जस्टिस दत्ता ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,
"बार एसोसिएशनों को उनके उपनियमों के अनुसार पुनर्गठित करने में कोई बाधा नहीं है।"
दूसरी ओर, जस्टिस कांत ने कहा,
"फिलहाल, जो भी व्यवस्था है, उपनियम, सोसायटी संविधान, उसे जारी रहना चाहिए। बेशक हम इस मुद्दे की जांच करने का प्रस्ताव रखते हैं कि न्यूनतम कार्यकाल क्या होना चाहिए, लेकिन यह समय के साथ होगा।"
न्यायालय ने आगे संकेत दिया कि वर्तमान मामले में जो भी दिशा-निर्देश वह निर्धारित करेगा, वह अखिल भारतीय आधार पर लागू होगा। इसने बार काउंसिल में "एक बार, एक वोट" से संबंधित याचिका पर भी नोटिस जारी किया। इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील ने आरोप लगाया कि एक सदस्य 25 वोट डाल रहा था और व्यक्तियों का एक विशेष समूह फिर से निर्वाचित हो रहा था, जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है।
केस टाइटल: RE: बार एसोसिएशनों की संस्थागत ताकत को मजबूत करना और बढ़ाना बनाम रजिस्ट्रार जनरल और अन्य, एसएलपी (सी) नंबर 3950/2024