एयरपोर्ट पर सामान बेचने वाली ड्यूटी फ्री शॉप पर जीएसटी नहीं लगेगा : बॉम्बे हाईकोर्ट

Update: 2019-10-11 07:07 GMT

एक महत्वपूर्ण फैसले में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना है कि मुंबई हवाई अड्डे पर ड्यूटी-फ्री शॉप (डीएफएस) द्वारा बाहर जाने वाले यात्रियों को बेचे जाने वाले सामान पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) नहीं लगाया जा सकता। हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी दुकानें इनपुट टैक्स क्रेडिट की वापसी की हकदार हैं।

न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की खंडपीठ ने कहा कि कर मुक्त दुकानें सीमा शुल्क क्षेत्र के दायरे में आती हैं, इसलिए, डीएफएस से आयातित सामानों की आपूर्ति भारत के सीमा शुल्क की हद को पार नहीं करती। डीएफएस द्वारा बाहरी यात्रियों को आपूर्ति 'निर्यात' का गठन करती है। नतीजतन, आईजीएसटी अधिनियम की धारा 16 (1) के संदर्भ में यह जीरो रेटेड सप्लाई बन जाता है।

केस की पृष्ठभूमि

याचिकाकर्ता, फ्लेमिंगो ट्रैवल रिटेल लिमिटेड की, मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ड्यूटी-फ्री दुकान (डीएफएस) है। सेल्स टैक्स के डिप्टी कमिश्नर ने उनके द्वारा हवाई अड्डे के प्रस्थान क्षेत्र में डीएफसएस से बेचे गए ड्यूटी फ्री सामान के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट वापस करने से इनकार कर दिया था। उन्होंने सेल्स टैक्स के एक डिप्टी कमिश्नर के इस आदेश को चुनौती दी थी।

याचिकाकर्ता के अनुसार, वे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के प्रस्थान या आगमन क्षेत्र में ड्यूटी-फ्री दुकानों के लाइसेंस प्राप्त परिसरों के अधिकारों के उपयोग के लिए न्यूनतम गारंटी शुल्क का पहले ही भुगतान रियायत समझौते के तहत मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (एमआईएएल) को कर रहे हैं, इसलिए, वे जीएसटी का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं।

प्रतिवादी की दलील

जबकि, राज्य और प्रतिवादी अधिकारियों के अनुसार, शब्दावली ' ड्यूटी-फ्री शॉप ' याचिकाकर्ता को हर कानून के तहत पूरे अप्रत्यक्ष कर के बोझ से मुक्त होने का अधिकार नहीं देता है। इनपुट टैक्स क्रेडिट केवल आपूर्ति की गई वस्तुओं के मूल्य पर याचिकाकर्ता द्वारा वहन किए जाने वाले कर तक सीमित है, और सेवाओं पर भुगतान किए गए अन्य जीएसटी को रिफंड के लिए योग्य इनपुट टैक्स क्रेडिट माने जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

प्रतिवादियों ने दलील दी कि डीएफएस पर बिक्री के लिए माल का आयात सीमा शुल्क चुकाने के लिए बाध्य नहीं है, क्योंकि इसकी घरेलू खपत के लिए अनुमति नहीं है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह जीएसटी के लिए भी उत्तरदायी नहीं हैं।

कोर्ट का निर्णय

न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 286 का निरीक्षण किया, जिसमें सामान की बिक्री या खरीद पर कर लगाने से संबंधित प्रतिबंधों का उल्लेख किया गया है। पीठ ने कहा,

''भारत में आयात के दौरान या भारत से बाहर निर्यात के दौरान की गई आपूर्ति किसी भी कर के अधीन नहीं हो सकती है।''

कोर्ट ने 'जे.वी.गोकल एंड कंपनी बनाम सीएसटी' मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले का उल्लेख किया और 'इंडिया टूरिस्ट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन थ्रू होटल अशोक बनाम सीसीटी ' मामले में शीर्ष अदालत ने भी इसका पालन किया था।

''प्रतिवादियों ने विभिन्न फोरम द्वारा याचिकाकर्ता-डीएफएस के पक्ष में समय-समय पर पारित किए गए सभी निर्णयों और आदेशों को अलग बताते का प्रयास करते हुए, तर्क दिया कि यह निर्णय जीएसटी कानूनों के विषय में नहीं हैं। हमारे विचार में, प्रतिवादियों का ऐसा पूर्व निर्धारित दृष्टिकोण अपनाना गलत प्रतीत होता है और वह भी तब, जब प्रतिवादी खुद उन निर्णयों पर भरोसा करने के इच्छुक हैं जो न तो जीएसटी से संबंधित है और न ही अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों के आगमन या प्रस्थान क्षेत्र पर ड्यूटी-फ्री शॉप के मामलों में पारित किए गए हैं।''

पीठ ने कहा, कि प्रतिवादियों द्वारा जिन निर्णयों का हवाला दिया गया है उनमें से कोई भी शुल्क मुक्त दुकानों से संबंधित नहीं है। इसके बाद, न्यायालय ने देखा-

''आईजीएसटी अधिनियम की धारा 2 (5) ''निर्यात''को परिभाषित करती है, जिसका अर्थ है ''भारत के बाहर सामान ले जाकर उसे भारत से बाहर रखना''। उपरोक्त परिभाषा के मद्देनजर हम इस बात से संतुष्ट हैं कि याचिकाकर्ता के डीएफएस द्वारा बाहर जाने वाले यात्री को जो आपूर्ति की जाती है, वह डीएफएस द्वारा किया जाने वाला निर्यात ही है। नतीजतन, आईजीएसटी अधिनियम की धारा 16 (1) के संदर्भ में, यह ज़ीरो-रेटेड आपूर्ति बन जाता है।

हमारे विचार में प्रतिवादी-अथॉरिटी ने याचिकाकर्ता को ज़ीरो-रेटेड आपूर्ति का लाभ देने से इनकार करने के लिए गलत तरीके से यह माना है कि वह माल को विदेशी गंतव्य पर भेजने के महत्वपूर्ण परीक्षण को संतुष्ट नहीं कर पाया है, जहां पर इस सामान को 'आयात' के रूप में प्राप्त किया जाएगा।

कोर्ट ने कहा कि-''इसके अलावा, याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था, कि उन्हें भारत में अन्य अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों के प्रस्थान क्षेत्र में अपनी अन्य ड्यूटी फ्री शॉप से की जाने वाली बिक्री के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट का रिफंड मिल रहा है।''

''उक्त दलील पर प्रतिवादियों ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी। जीएसटी का शासन 'एक राष्ट्र, एक कर सिद्धांत' पर आधारित है। ऐसे में महाराष्ट्र राज्य के अधिकारी भेदभावपूर्ण तरीका नहीं अपना सकते। खासकर जब अन्य राज्यों में राशि का रिफंड किया जा रहा है''

इस प्रकार, बिक्री कर के उपायुक्त के आदेश को मनमाना मानते हुए, अदालत ने इसे रद्द कर दिया और फ्लेमिंगो की रिट याचिका को स्वीकार कर लिया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी हाल ही में फैसला सुनाया था कि ड्यूटी फ्री शॉप को जीएसटी से मुक्त किया गया है।

फैसला डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें 



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