'भारत में हथियार रखने का कोई मौलिक अधिकार नहीं': सुप्रीम कोर्ट ने बिना लाइसेंस वाले हथियारों पर स्वत: संज्ञान लिया

Update: 2023-02-13 13:27 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने देश में बड़ी संख्या में बिना लाइसेंस के हथियार रखने और उनके इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए सोमवार को स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया।

जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने इस प्रवृत्ति को "परेशान करने वाला" करार देते हुए हत्या के आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए मामला दर्ज किया।

खंडपीठ ने कहा,

"अभियोजन के अनुसार, बिना लाइसेंस वाली बंदूक का इस्तेमाल किया गया और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 सपठित धारा 307 के तहत अपराध दर्ज किया गया। हमारे सामने कई मामले आए हैं, जहां बिना लाइसेंस वाले हथियारों की यह घटना और यह प्रवृत्ति बहुत परेशान करने वाली है।"

खंडपीठ ने यह भी कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका के विपरीत भारत में किसी को भी हथियार ले जाने की अनुमति नहीं है, जब तक कि अधिकृत न हो।

खंडपीठ ने आगे कहा,

"अमेरिकी संविधान के विपरीत जहां हथियार रखने का अधिकार मौलिक अधिकार है, हमारे संस्थापक पिताओं के ज्ञान के तहत संविधान के तहत किसी को भी ऐसा कोई अधिकार नहीं दिया गया.... यह सबसे बड़ा महत्व है कि सभी के जीवन को संरक्षित किया जाए विशेष रूप से बिना लाइसेंस वाले आग्नेयास्त्रों को रोकने के लिए सहारा बनाया जाना चाहिए।"

खंडपीठ ने कहा कि यदि इस मुद्दे को स्वतंत्र छोड़ दिया जाता है तो यह कानून के शासन के लिए बड़ा झटका होगा।

पीठ ने तब उत्तर प्रदेश राज्य को बिना लाइसेंस हथियारों के उपयोग और कब्जे पर दर्ज मामलों की संख्या के संबंध में हलफनामा दर्ज करने और इस प्रवृत्ति को समाप्त करने के लिए कदमों की सूची बनाने के लिए कहा।

खंडपीठ ने कहा,

"हम यह पता लगाना उचित समझते हैं और जो कुछ भी आवश्यक हो सकता है वह करते हैं, जिससे अधिकारियों द्वारा बिना लाइसेंस वाले हथियारों की समस्या से दृढ़ता से निपटा जा सके। प्रतिवादी राज्य को शस्त्र अधिनियम या किसी अन्य कानून के तहत रजिस्टर्ड मामलों की संख्या के रूप में हलफनामा देना होगा, जो इसे बिना लाइसेंस वाले हथियार से संबंधित उपयोग और कब्जे या किसी अन्य पहलू पर सक्षम बनाता है।" हलफनामा को प्रतिवादी राज्य के डीजीपी द्वारा चार सप्ताह के भीतर रिकॉर्ड पर रखा जाएगा। हलफनामा प्रतिवादी राज्य द्वारा बिना लाइसेंस वाले हथियारों की इस बुराई को जड़ से खत्म करने के लिए उठाए गए कदमों का भी संकेत देगा।

जस्टिस केएम जोसेफ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की,

"मैं केरल से हूं। यह वहां अनसुना है। बहुत कम मामले हैं ... बिना लाइसेंस वाले हथियार, हम स्वत: संज्ञान ले रहे हैं। इस मामले (जमानत मामले) में जो कुछ भी हो सकता है, हम इसे उठा रहे हैं।"

जस्टिस जोसेफ ने आदेश लिखवाने के बाद कहा कि हर दूसरा मामला बिना लाइसेंस के आग्नेयास्त्रों से जुड़ा है।

जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा,

"यह सामंती मानसिकता है...चाकू और बंदूक का इस्तेमाल करना।"

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