'आरोपियों को फाइव स्टार ट्रीटमेंट न दिया जाए, वरना जेल अधीक्षक को निलंबित कर दिया जाएगा': सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी

Update: 2025-08-14 13:46 GMT

रेणुकास्वामी हत्याकांड में कन्नड़ एक्टर दर्शन को दी गई ज़मानत रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जेल अधिकारियों को चेतावनी दी कि वे एक्टर को उनके सेलिब्रिटी स्टेटस के आधार पर कोई विशेष सुविधा न दें।

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने रेणुकास्वामी हत्याकांड में एक्ट दर्शन, पवित्रा गौड़ा और पांच अन्य आरोपियों को दी गई ज़मानत रद्द कर दी। कर्नाटक राज्य ने दिसंबर 2024 के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका दायर की थी। ज़मानत रद्द करते हुए न्यायालय ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश विकृत है। इसमें गंभीर कानूनी खामियां हैं। न्यायालय ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट ने ज़मानत देते समय दर्शन के सेलिब्रिटी स्टेटस को एक कम करने वाले कारक के रूप में देखते हुए बिना सोचे-समझे विवेक का प्रयोग किया।

जस्टिस पारदीवाला ने अपनी सहमति व्यक्त करते हुए टिप्पणी की कि इस निर्णय में एक बहुत ही कड़ा संदेश निहित है कि किसी भी स्तर पर न्याय प्रदान करने वाली प्रणाली को किसी भी कीमत पर कानून के शासन को बनाए रखना चाहिए।

आगे कहा गया,

"मेरे आदरणीय भाई जस्टिस आर. महादेवन ने अभी-अभी एक बहुत ही विद्वत्तापूर्ण निर्णय सुनाया। मैं एक वाक्य में बस इतना ही कह सकता हूं कि मेरे आदरणीय भाई द्वारा लिखा गया निर्णय अवर्णनीय है। यह निर्णय एक बहुत ही कड़ा संदेश देता है कि अभियुक्त कोई भी हो, चाहे वह कितना भी बड़ा या छोटा क्यों न हो, वह कानून से ऊपर नहीं है। इस निर्णय में एक बहुत ही कड़ा संदेश निहित है कि किसी भी स्तर पर न्याय प्रदान करने वाली प्रणाली को किसी भी कीमत पर कानून के शासन को बनाए रखना चाहिए। कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है। कोई भी व्यक्ति कानून से नीचे नहीं है; न ही हम किसी व्यक्ति से कानून का पालन करने के लिए उसकी अनुमति मांगते हैं। कानून का पालन एक अधिकार के रूप में मांगा जाता है, किसी एहसान के रूप में नहीं। समय की मांग है कि हर समय कानून का शासन बनाए रखा जाए।"

न्यायालय ने जेल अधीक्षक सहित सभी अधिकारियों को कड़ी चेतावनी भी दी कि वे दर्शन को कानून से ऊपर न समझें। न्यायालय ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह इस फैसले की एक-एक प्रति देश भर के सभी हाईकोर्ट और सभी जेल अधीक्षकों को उनकी संबंधित राज्य सरकारों के माध्यम से वितरित करे।

न्यायालय ने कहा,

"जिस दिन हमें पता चलेगा कि आरोपियों को जेल परिसर में कोई विशेष या फाइव स्टार सुविधा प्रदान की जा रही है, उस दिन सबसे पहले जेल अधीक्षक और इस तरह के दुर्व्यवहार में शामिल सभी अन्य अधिकारियों को निलंबित कर दिया जाएगा।"

Case Details: THE STATE OF KARNATAKA Vs SRI DARSHAN ETC. ETC.|SLP(Crl) No. 516-522/2025

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