निर्भया गैंगरेप : पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों को मंगलवार को होने वाली फांसी टाली,  डेथ वारंट पर अगले आदेश तक रोक 

Update: 2020-03-02 12:04 GMT

दिल्ली गैंगरेप- हत्या मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को होने वाली फांसी को टाल दिया है।

 अदालत ने सोमवार को अगले आदेश तक फांसी को टाल दिया है। एक दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित होने के चलते ये आदेश जारी किया। ये तीसरी बार है जब डेथ वारंट पर रोक लगाई गई है।

सोमवार सुबह दोषी अक्षय और पवन की याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया था और डेथ वारंट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। लेकिन इसके बाद वकील ए पी सिंह ने पवन गुप्ता की ओर से राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल की और अदालत को सूचित किया।

इस पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने इस पर नाराज़गी जताई और कहा कि जब हाईकोर्ट ने दोषियों को सात दिन का समय दिया था तो ये याचिका उस समय दाखिल क्यों नहीं की गई । अदालत ने दोषियों के वकील ए पी सिंह को कहा कि वो आग से खेल रहे हैं।

इससे पहले सुबह सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों के पीठ ने पवन गुप्ता की क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया । इसके साथ ही चारों दोषियों के कानूनी उपचार पूरे हो चुके हैं ।

17 फरवरी को पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों की मौत की सजा के लिए नया डेथ वारंट जारी किया है  अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने कहा कि दोषियों को तीन मार्च की सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाया जाए  ये फैसला दिया गया जब अदालत को बताया गया कि फिलहाल कोई याचिका लंबित नहीं है।

दरअसल 6 फरवरी को पटियाला हाउस कोर्ट ने इस याचिका पर दोषियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।बुधवार को अदालत ने सुनवाई शुरू की तो बताया गया कि वकील एपी सिंह ने दोषी पवन के लिए नोटिस लेने से इनकार करते हुए कहा था कि वो उसके वकील अब नहीं है  इस पर अदालत ने मुकेश की वकील वृंदा ग्रोवर से पूछा तो उन्होंने इससे इनकार कर दिया था ।अदालत ने लीगल एड से अधिकारी को वकीलों की सूची के साथ बुलाया और सूची जेल प्रशासन को देते हुए निर्देश दिया था कि दोषी को इसमें से वकील चुनने के लिए कहा जाए ।

17 जनवरी को पटियाला हाउस अदालत द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार, दोषियों को 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी दी जानी थी। इस आदेश को ट्रायल कोर्ट ने 31 जनवरी को इस आधार पर रोक दिया था कि सभी दोषियों ने अपने हर कानूनी उपाय को समाप्त नहीं किया है। दो दोषियों की दया याचिका तब लंबित थी। ट्रायल कोर्ट ने माना कि इन दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती है  क्योंकि उन्हें ही एक सामान्य आदेश द्वारा सजा सुनाई गई थी।

हालांकि केंद्र ने इस आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसमें हस्तक्षेप नहीं किया। कोर्ट ने, हालांकि, दोषियों द्वारा अपनाई गई "देरी की रणनीति" को देखते हुए निर्देश दिया था कि उन्हें 5 फरवरी से शुरू होने वाले सात दिनों के भीतर अपने उपचार को समाप्त करना चाहिए।

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