निर्भया के दोषियों को अंगदान का विकल्प मिले, रिटायर्ड जज की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश माइकल एफ सलदाना की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें निर्भया दोषियों को अंग दान के लिए विकल्प देने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
जस्टिस आर बानुमति की पीठ ने कहा,
"किसी व्यक्ति को मौत करना परिवार के लिए सबसे दुखद हिस्सा है। आप (याचिकाकर्ता) चाहते हैं कि उनका शरीर टुकड़ों में कट जाए.. कुछ मानवीय दृष्टिकोण दिखाइए। अंग दान को स्वैच्छिक होना चाहिए।"
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर कहा गया था कि निर्भया कांड के चारों दोषियों को मेडिकल रिसर्च के लिए शरीर और अंग दान करने का विकल्प दिया जाना चाहिए। सेवानिवृत जज जस्टिस माइकल एफ सलदाना याचिका में कहा गया था कि सरकार और जेल प्रशासन को निर्देश दिया जाए कि वह चारों दोषियों को शरीर और अंग दान का विकल्प दें।
दाखिल याचिका में मृत्युदंड पाए कैदियों व अन्य कैदियों के अंग दान के बारे में एक नीति बनाए जाने की भी मांग की गई थी। कहा गया है कि इसके लिए जेल नियमों में जरूरी बदलाव करने का निर्देश दिया जाए।याचिका में दुनिया के कुछ देशों में मृत्युदंड व अन्य कैदियों के अंग दान की नीति के तहत भारत में भी उस तरह की नीति बनाए जाने का अनुरोध किया गया है।जस्टिस सलदाना की याचिका में कहा गया है कि अगर चारों दोषी अंगदान करते हैं तो उनके लिए ये पश्चाताप करने का अंतिम मौका हो सकता है।इससे उनके साथ-साथ उन लोगों की भी एक मदद होगी जिन्हें अंग प्रत्यारोपण की बेहद जरूरत है।
जस्टिस सलदाना ने याचिका में कहा है कि जब वह मुंबई और कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायाधीश थे तब कुछ मौकों पर उन्होंने दोषी की मौत की सजा की पुष्टि के मामलों में इस तरह के निर्देश दिए थे। उन्होंने अपने फैसलों का हवाला देते हुए कहा है कि मेडिकल रिसर्च के लिए उन्होंने शरीर दान करने या आंख, किडनी, लीवर, दिल आदि जो अंग सही हों उन्हें दान करने का दोषी को विकल्प देने के आदेश जारी किए थे क्योंकि इससे जरूरतमंद लोगों को जिंदगी मिल सकती है।