[एनआईए एक्ट] जिस बैंक में भुगतान प्राप्त करने वाले व्यक्ति का खाता है, उससे संबंधित अधिकार क्षेत्र वाला कोर्ट चेक बाउंस के मुकदमे की सुनवाई कर सकता है : सुप्रीम कोर्ट

Update: 2020-09-21 07:04 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने एक स्थानांतरण याचिका खारिज करते हुए कहा है कि भुगतान प्राप्त करने वाले व्यक्ति का खाता जिस बैंक में होता है, उससे संबंधित इलाके के कोर्ट के पास चेक बाउंस के मामले की सुनवाई करने का अधिकार क्षेत्र होता है, यदि चेक को खाते के माध्यम से समाहरण (कलेक्शन) के लिए दिया जाता है।

इस मामले में, हिमालय सेल्फ फार्मिंग ग्रुप ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 406 के तहत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और दलील दी थी कि डिलीवरी चालान के तहत पक्षकारों के बीच सभी प्रकार के विवादों के लिए कोर्ट का अधिकार क्षेत्र सिलिगुड़ी में है और जब इस ग्रुप का मुख्यालय सिलिगुड़ी में है तो आगरा में शिकायत दर्ज कराना उसे परेशान करने के अलावा किसी और मकसद से नहीं था।

कोर्ट ने कहा कि डिलीवरी चालान कहता है कि सभी विवादों के लिए कोर्ट का अधिकार क्षेत्र सिलिगुड़ी होगा और यदि इसका आशय याचिकाकर्ताओं को समझ में आता है कि ऐसा करके किसी अन्य क्षेत्र की अदालत को मुकदमा सुनने से रोका जा सकता है, तो याचिकाकर्ताओं के लिए आगरा कोर्ट के समक्ष यह बिंदु उठाने का विकल्प हमेशा खुला है। कोर्ट ने आगे कहा कि यह याचिका के स्थानांतरण का आधार नहीं हो सकता।

दूसरे आधार के बारे में न्यायमूर्ति वी रमासुब्रमण्यम ने कहा :

प्रतिवादी का यह कहना भी याचिका के स्थानांतरण का आधार नहीं हो सकता कि उसका मुख्यालय सिलिगुड़ी है और आगरा में उसके खिलाफ याचिका दायर करना उसे परेशान करने के अलावा किसी और मकसद से नहीं हो सकता। नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 142(2)(ए) कहती है कि भुगतान प्राप्त करने वाले व्यक्ति का खाता जिस बैंक में होता है, उससे संबंधित इलाके के कोर्ट के पास चेक बाउंस के मामले की सुनवाई करने का अधिकार क्षेत्र होता है, यदि चेक को खाते के माध्यम से समाहरण (कलेक्शन) के लिए दिया जाता है। इसलिए जिस आधार पर याचिकाकर्ता ने स्थानांतरण याचिका दायर की है, वे सभी आधार कानून की नजर में टिकने वाले नहीं हैं।

'दशरथ रूपसिंह राठौड़ बनाम महाराष्ट्र सरकार' मामले में सुप्रीम कोर्ट की तीन-सदस्यीय बेंच ने व्यवस्था दी थी कि चेक के बाउंस होने की शिकायत केवल उस अदालत में दर्ज करायी जा सकती है जिसके अधिकार क्षेत्र में यह अपराध हुआ है। मौजूदा मामले में चेक उस बैंक में बाउंस हुआ है जहां भुगतान के लिए आहरित था।

नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट में 2015 में किये गये संशोधन के तहत उपरोक्त न्यायिक विवेचना को निरस्त कर दिया गया था। अब धारा 138 के तहत अपराध की जांच की जायेगी और उस स्थानीय अदालत के अधिकार क्षेत्र में उसकी सुनवाई होगी, जहां - (ए) यदि चेक किसी खाता के जरिये समाहरण के लिए जारी किया जाता है तो उस बैंक की शाखा से संबंधित अधिकार क्षेत्र में जहां भुगतान प्राप्त करने वाले का खाता स्थित है, या (बी) यदि भुगतान पाने वाला व्यक्ति (खाता के जरिये भुगतान से इतर) भुगतान के लिए चेक प्रस्तुत करता है तो उस अदाकर्ता बैंक के अधिकार क्षेत्र में जहां चेक जारी करने वाले का खाता होता है।

केस का नाम : मेसर्स हिमालय सेल्फ फार्मिंग ग्रुप बनाम मेसर्स गोयल फीड सप्लायर्स

केस नं. : ट्रांसफर पिटीशन (क्रिमिनल) नं. 273/2020

कोरम : न्यायमूर्ति वी. रमासुब्रमण्यम

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